28 करोड का नव निर्मित निर्माण इसी तरह भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ेगा या फिर

ठेकेदार द्वारा वहां पर मलहम लगाते हुए सीमेंट का लेप लगा दिया जाता

पन्ना जिले के शाह नगर में हो रहा सी एम राइस विद्यालय का निर्माण। जिसकी लागत 28 करोड रुपए है जिसकी देखरेख पीडब्ल्यूडी एवं पीआईयू के अधिकारी कर रहे हैं और जिसमें रेत की जगह डस्ट का उपयोग किया जा रहा है, जो बनते ही चटकता जा रहा है और ठेकेदार द्वारा वहां पर मलहम लगाते हुए सीमेंट का लेप कर दिया जाता है कि हमारी कमजोरी एवं भ्रष्टाचारी छुपी रह सके ,, इतना ही नहीं वहां पर मीडिया कर्मी ने जब जाकर देखा तो तीन से चार आदिवासी नाबालिक बच्चिया भी काम कर रही थी , जिन्होंने यह बताया कि हम आठवीं नवमी मे पढ़ते हैं अब आप अंदाजा लगा सकते हैं कि सीएम राइस विद्यालय में ही नाबालिक बच्चे कम कर रहे हैं, और ठेकेदार के फील्ड सुपरवाइजर बच्चों से कार्य करवा रहे हैं।

  • वहीं जब मीडिया कर्मियों ने उनसे यह पूछा कि आपकी 28 करोड़ की बिल्डिंग में नाबालिक बच्चे काम कर रहे हैं और रेत की जगह डस्ट का उपयोग कर घटिया सामग्री का उपयोग किया जा रहा है जिससे क्या यह है अधिक समय तक बिल्डिंग चल पाएगी कि जिसका धरातल से ही घटिया निर्माण हो वह निर्माण कितना समय साथ देगा । आप समझ सकते हे इतना ही नहीं है पीआईयू के एसडीओ आलोक श्रीवास्तव की मौजूदगी में भी इसी तरह का घटिया निर्माण हो रहा है जब मीडिया कर्मियों ने उनसे यह बात पूछी तो एकदम अपनी भ्रष्टाचारियों की पोल खुलता देख भड़भड़ा गए और बोले कि जो बात आप लोगों को करना है हिसाब से करे । आखिर प्रश्न यह उठता है कि चाहे पीडब्ल्यूडी हो पीआईयू इस विभाग में इतना भ्रष्टाचार मचाए हैं कि आप अंदाजा नही लगा सकते कि 28 करोड़ की बिल्डिंग में इन भ्रष्टाचारियों के चलते घटिया निर्माण होकर भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही है और अधिकारी खुले तौर पर रेत की जगह डस्ट का उपयोग करा धरातल से ही घटिया निर्माण करा रहे हैं । इस संबंध में फील्ड ऑफिसर पारस जैन से बात की गई तो उन्होंने यह स्वीकार किया की रेट महंगा होने के कारण डस्ट का उपयोग किया जा रहा है और यह बेस बनाने का कोई मतलब नहीं लेकिन हम लोग बना रहे हैं आखिर प्रश्न यह है कि जब बेश ही नहीं बनाया जाना था तो क्यों बनाया जा रहा क्या मतलब है इस बेस का इस बात की पुष्टि सीएम राइस विद्यालय के प्रभारी प्रचार्य भरत पांडे ने भी की,,कि यह बिल्डिंग घटिया स्तर की बन रही और रेत की जगह डस्ट का उपयोग किया जा रहा लेकिन ठेकेदार और अधिकारी की जुगलबंदी के आगे किसी की कोई नहीं सुन रहा है । आखिर इस बिल्डिंग में पढ़ने वाले बच्चों का भविष्य क्या होगा क्या 28 करोड का नव निर्मित निर्माण इसी तरह भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ेगा या फिर इस तरह के निर्माण पर अंकुश लगेगा..??

 

शाहनगर/पन्ना से अजय विश्वकर्मा की रिपोर्ट

 

 

 

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