केके पाठक से आरएस भट्टी तक…बिहार से पलायन क्यों कर रहे नीतीश के भरोसेमंद अफसर?
बिहार में गिरती कानून व्यवस्था और कामकाज जहां विपक्ष के निशाने पर है, वहीं अब सरकार के बड़े अधिकारी भी नीतीश कुमार से मुंह मोड़ने लगे हैं. बिहार से बड़े अधिकारियों की रुखसती इस बात की गवाही दे रही है. हाल ही में महानिदेशक राजविंदर सिंह भट्टी कार्यकाल पूरा होने से एक साल पहले ही केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चले गए हैं.
हालांकि, भट्टी इस फेहरिस्त में एकमात्र नाम नहीं हैं. इसी साल नीतीश कुमार के 2 और भरोसेमंद अधिकारियों ने केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने के लिए सरकार से हरी झंडी ली है. इनमें एक नाम आईएएस अफसर केके पाठक और दूसरा नाम संदीप पौंड्रिक का है. पौंड्रिक की तो केंद्रीय प्रतिनियुक्ति में तैनाती भी हो गई है.
इन अफसरों के केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के बीच बिहार में यह सवाल उठ रहा है कि नीतीश के भरोसेमंद माने जाने वाले ये अधिकारी आखिर दिल्ली की ओर पलायन क्यों कर रहे हैं?
केके पाठक ने मांगी थी इजाजत
1990 बैच के आईएएस अफसर केके पाठक ने फरवरी में बिहार सरकार से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने की इजाजत मांगी थी. 29 फरवरी को राज्य सरकार ने उन्हें इसकी इजाजत भी दे दी थी. राज्य सरकार में मंत्री विजय चौधरी ने उस वक्त पत्रकारों को बताया था कि पाठक दिल्ली जाना चाहते हैं इसलिए उन्हें एनओसी दी गई है.
केके पाठक की गिनती बिहार में नीतीश कुमार के भरोसेमंद अधिकारियों में होती रही है. शिक्षा विभाग में अपर मुख्य सचिव रहते हुए पाठक ने काफी सुर्खियां बटोरी थी.
बाद में शिक्षकों की नाराजगी को देखते हुए बिहार सरकार ने केके पाठक को राजस्व विभाग भेज दिया. पाठक शुरुआत में कई महीनों तक इस विभाग के कामकाज सदूर रहे और छुट्टी पर चले गए.
संदीप पौंड्रिक भी गए प्रतिनियुक्ति पर
1993 बैच के आईएएस अफसर संदीप पौंड्रिक भी हाल ही में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर गए हैं. पौंड्रिक को भी बिहार में नीतीश कुमार का करीबी अफसर माना जाता था. वे केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने से पहले उर्जा और उद्योग विभाग में अपर मुख्य सचिव थे.
पौंड्रिक को केंद्र में इस्पात विभाग का सचिव बनाया गया है. बिहार में निवेश के लिए 2022 में इन्वेस्टर सम्मिट कराने के लिए पौंड्रिक काफी चर्चा में आए थे.
अब आरएस भट्टी पटना छोड़ दिल्ली रवाना
बिहार के निवर्तमान पुलिस महानिदेशक राजविंदर सिंह भट्टी पटना की मोहमाया छोड़ दिल्ली की तरफ प्रस्थान कर चुके हैं. भट्टी को केंद्र में सेंट्रल इंडस्ट्रियल सिक्योरिटी फोर्स का मुखिया बनाया गया है. भट्टी ने हाल ही में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर आने के लिए आवेदन किया था.
दिलचस्प बात है कि भट्टी ने यह आवेदन उस वक्त दिया था, जब डीजीपी के रूप में उनके कार्यकाल में काफी वक्त शेष बचा था. भट्टी के केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने के बाद बिहार में नए डीजीपी की खोज शुरू हो गई है.
एक वक्त भट्टी को बिहार में नीतीश कुमार का भरोसेमंद अधिकारी माना जाता था. एसके सिंघल के जाने के बाद नीतीश ने उन्हें बिहार में पुलिस की कमान सौंपी थी.
क्यों बिहार छोड़ रहे नीतीश के भरोसेमंद अफसर?
बिहार के सियासी गलियारों में यह सवाल उठ रहा है कि आखिर नीतीश कुमार के भरोसेमंद अधिकारी इन दिनों दिल्ली पलायन क्यों कर रहे हैं? वो भी ऐसे अधिकारी, जिन्हें नीतीश कुमार ने बड़े-बड़े विभागों की जिम्मेदारी सौंप रखी थी.
कहा जा रहा है कि नीतीश के अधिकारियों के पलायन करने की 3 मुख्य वजहें हैं-
1. पहली वजह राजनीति है. पिछले 10 साल में बिहार में 3 पार्टियां ही बिहार की सरकार में रोटेशन के हिसाब से सत्ता में आ रही है. हालांकि, सत्ता के केंद्र में नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू है. किसी भी मुद्दे पर इन पार्टियों की रडार में नेता और मंत्री से ज्यादा अफसर ही होते हैं.
2. दूसरी वजह प्रशासनिक है. कहा जा रहा है कि बिहार में नीतीश कुमार के इर्द-गिर्द जो पावरफुल अफसर हैं, उनमें अधिकांश रिटायर हो चुके हैं. इतना ही नहीं, सीएमओ के करीब कई अफसर तो लंबे वक्त से बड़े पदों पर बैठे हुए हैं. इन्हीं के कामकाज के हस्तक्षेप की वजह से अधिकारी पटना से दिल्ली की ओर पलायन कर रहे हैं.
3. तीसरी वजह केंद्रीय प्रतिनियुक्ति में मिलने वाला पद भी है. कहा जा रहा है कि बिहार से दिल्ली आ रहे अधिकारियों को तुरंत केंद्र में बड़े पद मिल जा रहे हैं. हाल ही संदीप पौंड्रिक को इस्पात विभाग का मुखिया बनाया गया था. इसी तरह भट्टी को सीआईएसफ की कमान मिल गई है.
नीतीश कुमार के टीम में कितने रिटायर अफसर?
नीतीश कुमार की टीम में वर्तमान में अंजनी कुमार परामर्शी हैं. रिटायर आईएएस अफसर अंजनी कुमार बिहार के मुख्य सचिव रह चुके हैं. इसी तरह बिहार के पूर्व मुख्य सचिव नीतीश कुमार के प्रधान सचिव हैं और उनकी नियुक्ति सीएम ऑफिस के लिए हुई है.