हरियाणा के चुनावी दंगल में केजरीवाल की एंट्री, AAP ने खींचा 11 जिलों में 13 कार्यक्रमों का खाका, जानें रणनीति

चंडीगढ़: दिल्ली के कथित शराब घोटाले में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने और मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद अब अरविंद केजरीवाल हरियाणा के चुनावी दंगल में उतरेंगे। केजरीवाल 20 सितंबर को हरियाणा के यमुनानगर से चुनाव अभियान का आगाज करेंगे। इससे पहले राज्य में पंजाब के सीएम भगवंत मान और सुनीता केजरीवाल के कार्यक्रम हो चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद आप ने अब हरियाणा में केजरीवाल के कार्यक्रमों का बड़ी योजना बनाई है। आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद और राष्ट्रीय संगठन महामंत्री डॉ संदीप पाठक ने गुरुवार को पार्टी मुख्यालय में ऐलान किया है। पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल 20 सितंबर से हरियाणा में चुनाव प्रचार की शुरुआत करेंगे।

जगाधरी में रोड शो से शुरुआत
अरविंद केजरीवाल 20 सितंबर को यमुनानगर के जगाधरी विधानसभा में अपना पहला रोड शो करेंगे। जगाधरी के बाद अरविंद केजरीवाल डबवाली, रानिया, भिवानी, मेहम, पूंडरी, कलायत, रेवाड़ी, दादरी, असंध, बल्लभगढ़ और बादरा में भी चुनाव प्रचार करेंगे। फिलहाल अरविंद केजरीवाल जी 11 जिलों में चुनाव प्रचार करेंगे, जहां पर उनके 13 कार्यक्रम होंगे। इसके बाद का उनका शेड्यूल आने वाले कुछ दिनों में मीडिया के साथ शेयर कर दिया जाएगा। संदीप पाठक ने आगे कहा कि अगर आप हरियाणा की राजनीति को देखेंगे तो यह बड़ा स्पष्ट है कि भाजपा इस बार पूर्ण रूप से हरियाणा से साफ होने वाली है। पिछले 10 सालों से बीजेपी की सरकार हरियाणा में चल रही है।

कांग्रेस पर क्या रहेगा रुख?
संदीप पाठक ने अरविंद केजरीवाल के कार्यकमों का ऐलान करते हुए जहां बीजेपी को निशाने पर लिया तो वहीं उन्होंने कांग्रेस को लेकर कुछ नहीं कहा। ऐसे में जब सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद अरविंद केजरीवाल के नए अंदाज में दिखने की चर्चा हो रही है क्योंकि वह दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे चुके हैं। ऐसे में वह हरियाणा में कांग्रेस को लेकर क्या रुख अपनाते हैं। इस पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं। लोकसभा चुनावों में आप और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़े थे। आप को सीट शेयरिंग में कुरुक्षेत्र की सीट मिली थीं, लेकिन सुशील गुप्ता चुनाव हार गए थे और नवीन जिंदल ने चुनाव जीता था। हरियाणा विधानसभा चुनावों में भी कांग्रेस नेता राहुल गांधी की तरफ से गठबंधन की पहल हुई थी, लेकिन तीन दिनों तक चर्चा के बाद भी दोनों दलों में सहमति नहीं बन पाई थी।

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