Navratri 2024: नवरात्रि में कैसे करें देवी का अनुष्ठान, कलश स्थापन और विसर्जन?
शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर यानी गुरुवार को शुरू हो रही है. बड़ी संख्या में लोग नवरात्रि में कलश स्थापना कर मां भगवती का अनुष्ठान करते हैं और नौ दिनों का व्रत रखकर माता रानी से अपने व परिवार के सुख समृद्धि, कल्याण, आरोग्य की कामना करते हैं. इसी प्रकार दसवें दिन माता से विश्व कल्याण का आग्रह करते हुए कलश विसर्जन करते हैं. कई बार लोग जानकारी के अभाव में कलश की स्थापना और विसर्जन के नियमों का पालन नहीं करते हैं. हालांकि इससे कोई नुकसान तो नहीं है, लेकिन पुण्य कम जरूर मिलता है.
ऋषि मुनियों ने मार्कंडेय पुराण और दुर्गा सप्तशती में कलश स्थापना के लिए उचित नियम बताए हैं. इन नियमों को कई मानकों पर परखने का दावा किया गया है. कहा गया कि कोई भी साधक यदि विधि विधान के साथ माता का आह्वान करता है तो निश्चित रूप से माता की कृपा होती है और साधक की मनोकामनाओं की सहज ही पूर्ति हो जाती है. तमाम पुरोहित भी इन्हीं विधियों का पालन करते हुए यजमान के घरों में देवी स्थापना कराते हैं. कलश स्थापना करने वाले साधकों के लिए भी कुछ नियम हैं.
साधक को पालन करने होंगे ये नियम
ग्रंथों में कहा गया है कि नवरात्रि में कलश स्थापना करने वाले साधक को ब्रह्म मुहुर्त में बिस्तर छोड़कर नित्य क्रिया से निवृत्त होना होगा. सूर्योदय से पहले स्नान करके नियमित तौर पर दुर्गा सप्तशती का पाठ करना होगा. नवरात्रि के नौ दिनों में व्रत रखने का विधान है. इन नौ दिनों में न केवल अन्न का त्याग करना होगा, बल्कि लहसुन, प्याज, तेल मसाला जैसे समस्त तामसिक चीजों का परित्याग करना होगा. इसके साथ ही पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना आवश्यक है. वैसे तो नवरात्रि में रात का महत्व है. नियम यह है कि रात भर जागकर माता का जागरण किया जाए, लेकिन यदि नींद आती भी है तो जमीन पर सोने का विधान है.