महाराष्ट्र में बागी फैक्टर, किसका क्लोज होगा चैप्टर? CM शिंदे के घर पर महायुति का मंथन

महाराष्ट्र में बागी उम्मीदवारों को मनाने के लिए राजनीतिक दलों के बीच माथापच्ची चल रही है. सोमवार को नामांकन वापस लेने का आखिरी दिन है. ऐसे में बागी उम्मीदवारों को मनाने के लिए राजनीतिक दलों के पास केवल एक दिन का समय बचा हुआ है. इस बीच मुंबई में मुख्यमंत्री आवास वर्षा बंगले पर महायुति (शिवसेना, बीजेपी और एनसीपी) के नेताओं की अहम बैठक हुई. बीजेपी की ओर से डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस वर्षा बंगले पर पहुंचे हुए थे. करीब 3 घंटे तक चली इस बैठक में बागी उम्मीदवारों को मनाने और उनके नामांकन को वापस कैसे कराया जाए इसे लेकर मंथन किया गया.

सूत्रों के मुताबिक, बैठक में तय किया गया है कि अंतिम बार ऐसे उम्मीदवार जो पार्टी लाइन से इतर चुनावी मैदान में उतरे हैं उन्हें समझाने बुझाने की कोशिश की जाएगी. अगर मान जाते हैं तो ठीक वरना उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी. आज रात 10 बजे के आसपास ऐसे कुछ उम्मीदवार को मुख्यमंत्री आवास पर बुलाया भी गया है.

बीजेपी और शिंदे गुट के लगभग 20 ऐसे उम्मीदवार हैं जो चुनाव मैदान में हैं और उन पर नाम वापस लेने का दबाव है. अगर महायुति की बात करें तो करीब 35 ऐसे नेता हैं बागी रुख अख्तियार करते हुए मैदान में उतरे हुए हैं. अब गठबंधन के चुनाव प्रभारी बागियों को समझाने के लिए रास्ता तलाश रहे है. अगर समय रहते इनसे नामांकन वापस नहीं कराया गया तो फिर चुनाव में महायुति के सामने भी बड़ी मुश्किल खड़ी हो सकती है. इसलिए गठबंधन के नेताओं की कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा बागी नेताओं को समय रहते मना लिया जाए.

माहिम सीट पर सबसे ज्यादा फोकस

महायुति में सबसे बड़ा पेंच माहिम सीट को लेकर फंसा हुआ है. ये वो सीट है जहां से मनसे प्रमुख राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे चुनाव मैदान में हैं. वहीं, शिंदे गुट की शिवसेना की ओर से सदा सरवणकरचुनाव लड़ रहे हैं. मतलब इस सीट पर मुख्य मुकाबला अमित ठाकरे और सदा सरवणकरके बीच देखने को मिल सकता है. चर्चा है कि सदा सरवणकर पर नामांकन वापस लेने का दबाव बनाया जा रहा है, लेकिन फिलहाल वो मानने के लिए तैयार नहीं हैं. सदा सरवणकर अभी तक इस बात पर अड़े हैं कि वो अपना नामांकन वापस नहीं लेंगे.

महायुति में इन सीटों पर फंसा है पेंच

  • पचोरा सीट से बीजेपी के अमोल शिंदे बगावत कर निर्दलीय मैदान में उतर गए हैं.
  • मुंबा देवी सीट से अतुल शाह ने बागी रुख अपनाते हुए निर्दलीय नामांकन किया है.
  • बुलढाणा विधानसभा सीट से बीजेपी नेता विजयराज शिंदे ने निर्दलीय ताल ठोक दी है.
  • मेहकर सीट से बीजेपी के नेता प्रकाश गवई ने निर्दलीय नामांकन दाखिल कर दिया है.
  • ओवला माजीवाडा से बीजेपी के डिप्टी मेयर रहे हसमुख गहलोत बगावत कर मैदान में उतर गए हैं.
  • पैठण सीट पर बीजेपी के नेता सुनील शिंदे ने बगावत करते हुए निर्दलीय नामांकन भरा है.
  • जालनाया सीट पर बीजेपी नेता भास्कर दानवे भी बागी रुख अख्तियार करते हुए मैदान में उतरे हैं.
  • इसी तरह से सिल्लोड सीट पर बीजेपी के सुनील मिरकर बगावत कर चुनाव मैदान में उतरे हैं.
  • सावंतवाडी सीट पर बीजेपी के विशाल पारबा बागी होकर उतर गए हैं.
  • घनसावंगी सीट पर बीजेपी के सतीश घाटगे बागी मैदान में उतरकर गठबंधन के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है.

कर्जत सीट से बीजेपी की किरण ठाकरे निर्दलीय उतर गए हैं.

चुनाव में बगावत कितनी बड़ी है इसका अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि शिंदे गुट की शिवसेना के खिलाफ बीजेपी के 9 बागी मैदान में हैं. वहीं, बीजेपी उम्मीदवारों के खिलाफ शिंदे गुट के 9 बागी निर्दलीय नामांकन कर बागी रुख अख्तियार कर लिया है. एनसीपी की बात करें तो शिवसेना शिंदे गुट के 7 नेताओं ने निर्दलीय नामांकन कर दिया है. हालांकि राजनीतिक दलों का मानना है कि 288 विधानसभा वाली सीटों में बागी बहुत असर नहीं डालते छोटे राज्यों में इसका असर होता है.

बागी उम्मीदवारों ने बढ़ाया पार्टियों का सिरदर्द

महाराष्ट्र में बागी उम्मीदवारों के मैदान में उतरने की वजह से सीटों पर राजनीतिक पार्टियों के लिए नया सिरदर्द बन गया है. राजनीतिक दलों की बागियों की ताकत का अंदाजा है, इसलिए वो कोशिश कर रहे हैं कि समय रहते अधिकतर को मना लिया जाएगा. इसमें कुछ को तो एमएलसी सीट ऑफर किए जाने की भी संभावना है. अगर समय रहते बागी मान जाते हैं तो फिर ठीक है, लेकिन नहीं मानते हैं तो इसका खामियाजा राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों को ही भुगतना पड़ेगा और चुनाव परिणाम पर भी असर पड़ सकता है. खासकर विरोधी दलों को इसका लाभ मिल सकता है.

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