सौरभ शर्मा मामले में सबसे बड़ा खुलासा, MP के पूर्व गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का कनेक्शन आया सामने?

 भोपाल। मध्य प्रदेश में परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा की काली कमाई की परतें लगातार खुलती जा रही हैं। परिवहन विभाग में उसकी नियुक्ति में हुए फर्जीवाड़े भी अब धीरे-धीरे सामने आ रहे हैं। ऐसे ही एक बड़े खुलासे में सामने आया कि सौरभ शर्मा की नियुक्ति की अनुशंसा स्वास्थ्य विभाग में तत्कालीन मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने की थी। लेकिन सौरभ ने अपने रसूख से उसे परिवहन विभाग में करा लिया था।

नौकरी लगवाने के लिए मंत्री और कलेक्टर ने की थी सिफारिश

ऐसे कुछ डॉक्यूमेंट्स भी सामने आए हैं, जिनके जरिए सौरभ शर्मा (Saurabh Sharma Bhopal) की नियुक्ति में हुए फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। दरअसल सौरभ के पिता राकेश कुमार शर्मा का 20 नवंबर 2015 को आकस्मिक निधन हो गया था। इसके बाद तत्कालीन लोकस्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा की सिफारिशी चिट्ठी पर उसकी नियुक्ति की गई। इस संबंध में 12 अप्रैल 2016 को स्वास्थ्य आयुक्त को एक पत्र भी लिखा गया था।

सौरभ की नियुक्ति ग्वालियर CMHO ऑफिस में सहायक वर्ग 3 के लिए हुई थी। परंतु विभाग में सहायक वर्ग 3 का पद न होने के कारण उसे परिवहन विभाग में नियुक्त किया गया था। इसके लिए ग्वालियर के तत्कालीन कलेक्टर डॉ. संजय गोयल ने परिवहन आयुक्त से अनुशंसा की थी जिसके बाद सौरभ को नौकरी मिल गई। गत वर्ष 10 जून 2023 को परिवहन आयुक्त ने सौरभ को सेवामुक्त कर दिया था।

आरटीआई एक्टिविस्ट करवाना चाहते हैं जज से जांच

सौरभ शर्मा केस में दूसरे शिकायतकर्ता एवं सीनियर एडवोकेट अवधेश सिंह तोमर अब सीजेआई को पत्र लिख रहे हैं। इस पत्र के जरिए वह सौरभ शर्मा की जांच सीटिंग जज से करवाना चाहते है। अवधेश तोमर का कहना है कि लोकायुक्त और दूसरी जांच एजेंसियां फेयर इन्वेस्टिगेशन नही कर सकती हैं। इस बात का सबूत शुरूआत से लेकर अब तक की कार्रवाई है, जो बताती है कि जांच एजेंसियां सौरभ (Saurabh Sharma Bhopal) पर शिकंजा कसने की बजाय उसे राहत देने में लगी हुई हैं। अब इसी बात को लेकर आरटीआई एक्टिविस्ट मैदान में हैं और वो अब उन सभी के खिलाफ कार्रवाई की बात कर रहे हैं जिन्होनें सौरभ की नियुक्ति करवाने के लिए चिट्टियां लिखी हैं।

कॉन्स्टेबल होकर भी कर डाली करोडों की काली कमाई

बहरहाल अब तक जो चिट्टी सामने आई है, उसमें साफ जाहिर हो रहा है कि एक मामूली से परिवहन कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा की नौकरी लगने से लेकर उसके इस्तीफा होने तक की पूरी स्टोरी में सरकार ओर सरकारी मशीनरी की बड़ी कृपा रही है। कहने को वह एक कॉन्स्टेबल था, लेकिन मंत्री और अफसरों का सबसे चहेता था। यही वजह है कि उसकी नियुक्ति भी परिवहन में अस्थाई तौर पर थी लेकिन उसने अपनी सेंटिग के दम पर करोड़ों की काली कमाई एकत्रित कर ली थी। बताया जा रहा है कि सौरभ शर्मा (Saurabh Sharma Bhopal) के पिता के निधन के बाद उसकी नौकरी लगवाने के लिए मां ने झूठा शपथ पत्र भी दिया था।

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