हरिद्वार की तरह 1250 बीघा जमीन पर होगा उज्जैन में विकास, जानें सरकार की पूरी योजना
उज्जैन: सिंहस्थ (Simhastha) 2028 को लेकर मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) सरकार हरिद्वार (Haridwar) की तर्ज पर 1250 हजार बीघा क्षेत्र में विकास करने जा रही है. इसकी घोषणा खुद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव (CM Mohan Yadav) ने की है. उन्होंने कहा कि हर बार सिंहस्थ में अस्थाई इंतजामों पर काफी राशि खर्च होती है. इसी के चलते अब हरिद्वार को मॉडल बनाकर विकास किया जाएगा.
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सेवर खेड़ी-सिलार खेड़ी परियोजना के निर्माण का भूमि पूजन करते हुए कहा कि शिप्रा को निर्मल और प्रभाव मान बनने के लिए सरकार 614 करोड़ रुपये खर्च कर रही है. उन्होंने यह भी कहा कि मध्य प्रदेश में जो नदी जोड़ो अभियान चलाया जा रहा है, उसका लाभ कई दशक तक किसानों को भी मिलेगा.
सीएम के मुताबिक शिप्रा नदी का प्रदूषण समाप्त करने के लिए सरकार 850 करोड़ रुपये की लागत से ट्रीटमेंट कर रही है. इसके अलावा सिलार खेड़ी-सेवर खेड़ी परियोजना के जरिए शिप्रा लगातार प्रवाहमान रहेगी. मुख्यमंत्री के मुताबिक उज्जैन का विकास हरिद्वार की तर्ज पर किया जाएगा. इस कार्य में मध्य प्रदेश सरकार को केंद्र सरकार का पूरा सहयोग मिल रहा है.
सिंहस्थ की भूमि पर स्थाई निर्माण वर्जित रहता है, मगर मध्य प्रदेश की सरकार साधु-संतों को स्थाई आश्रम, धर्मशाला, मंदिर, सत्संग के लिए हाल आदि निर्माण की अनुमति देने को तैयार है. सरकार ने इस बात की पहले ही घोषणा कर दी है. मुख्यमंत्री मोहन यादव का कहना है कि हर बार सिंहस्थ में अस्थाई निर्माण कार्यों पर सभी की राशि खर्च होती है. यदि साधु-संत उज्जैन में स्थाई निर्माण करना चाहते हैं तो सरकार उनका स्वागत करती है.