जेल मे बंद बंदी आध्यात्म से जुडकर, झांकी के माध्यम से कह रहे

 

जबलपुर नेताजी सुभाष चंद्र बोस केन्द्रीय जेल की यह केसरिया रंग की झांकी बंदियो के अथक परिश्रम से तैयार की गई है, बंदी भाई आध्यात्म से जुडकर, झांकी के माध्यम से कह रहे है कि “महाकाल की भक्ति के साथ जेल में हमारी प्रतिभा का विकास ” क्योकि जेल अब कारागृह नही बल्कि सुधार गृह बन चुकी हैं। झांकी के सबसे आगे महाकौशल अंचल का प्रसिध्द आदिवासी भाईयों का गेडी नृत्य, जेल के बंदियो द्वारा प्रस्तुत किया जा रहा है जबकि उसके ठीक पीछे “महाकुम्भ प्रयागराज” के अघोरी साधुओं द्वारा किया जाने वाला नृत्य बंदी भाई महाकाल की भक्ति में डूबकर तथा अपने शरीर पर भस्म लगाकर प्रस्तुत कर रहे हैं वहीं झांकी में प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री के नारे “एक पेड मॉ के नाम” को भी दिखाया गया हैं। साथ ही आजादी के पूर्व की दण्डात्मक विचारधारा को भी यह झांकी प्रदर्शित कर रही हैं।


झांकी में पहले पायदान पर उज्जैन स्थित महाकाल लोक की झलक दिखाई गई हैं वही दूसरे पायदान पर जेल के बंदी भाई एवं बहनों के प्रशिक्षण, उद्योग, खुली जेल, गोकुल धाम गौशाला को दिखाया गया है। साथ ही झांकी पिछले भाग में जेल में संचालित होने वाली विभिन्न गतिविधियों को दर्शाया गया हैं। झांकी के उपरी भाग में ” वसुधैव कुटुम्बकम् ” की भावना को दर्शाती हुई पृथ्वी अपनी धुरी पर गतिमान है एवं जेल की सुरक्षा को सुदृण करता हुआ हाई वोल्टेज इलेक्ट्रक फेन्सिंग तार प्रदर्शित किया गया हैं।

 

ब्यूरो प्रेरित सिंह

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