स्वास्थ्य के लिए वरदान है त्रिफला, पाचन से लेकर रोग प्रतिरोधक क्षमता तक का बेहतर साधन
नई दिल्ली। आयुर्वेद में त्रिफला को एक महत्वपूर्ण औषधि माना गया है, जो तीन फलों- आंवला, हरड़, और बहेड़ा को मिलाकर बनता है। त्रिफला अपने विविध स्वास्थ्य लाभों के लिए प्रसिद्ध है और प्राचीन काल से विभिन्न रोगों के उपचार में उपयोग होता आ रहा है।
त्रिफला पाचन तंत्र की समस्याओं, विशेषकर कब्ज, के उपचार में अत्यंत प्रभावी है। यह आंतों की सफाई करता है और पाचन क्रिया को सुधारता है। अध्ययन में पाया गया कि दो सप्ताह तक त्रिफला के सेवन से कब्ज से पीड़ित व्यक्तियों में महत्वपूर्ण सुधार देखा गया।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की अगस्त 2017 की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि त्रिफला में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में सहायक हैं। यह संक्रमणों से लड़ने में मदद करता है और इंसान को स्वस्थ रखता है।
आंखों की रोशनी बढ़ाने और नेत्र संबंधी विकारों के उपचार में त्रिफला उपयोगी माना जाता है। नियमित रूप से त्रिफला के पानी से आंखें धोने से दृष्टि में सुधार हो सकता है और आंखों की जलन कम हो सकती है।
शोध में बताया गया है कि त्रिफला त्वचा की चमक बढ़ाने और बालों के झड़ने को कम करने में मदद करता है। यह खून को साफ करता है, जिससे त्वचा की रंगत निखरती है और बालों के जड़ को मजबूत करता है, जिससे बाल घने और मजबूत बनते हैं।
त्रिफला चयापचय को बढ़ावा देता है और वसा के टूटने में मदद करता है, जिससे वजन कंट्रोल में सहायता मिलती है। इसका नियमित सेवन भूख पर नियंत्रण रखता है और पाचन को सुधारता है, जो स्वस्थ वजन बनाए रखने में सहायक है।
इसका उपयोग प्राचीन काल से ही होता आया है। साथ ही, आधुनिक शोधों ने भी त्रिफला के स्वास्थ्य लाभों की पुष्टि की है। एक अध्ययन में पाया गया कि त्रिफला में कैंसर विरोधी गुण हो सकते हैं, जो ट्यूमर कोशिकाओं की वृद्धि को रोकने में मदद करते हैं।