मध्यप्रदेश में दो नए महानगर: इंदौर और भोपाल के विकास को मिलेगी नई गति

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव प्रदेश के दो प्रमुख शहरों, इंदौर और भोपाल, को ऐतिहासिक सौगात देने की तैयारी में हैं। सरकार द्वारा दिल्ली-एनसीआर की तर्ज पर इन शहरों को ‘स्टेट कैपिटल रीजन’ (एससीआर) के रूप में विकसित करने का महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट जल्द ही मूर्त रूप ले सकता है। इस योजना के तहत भोपाल और इंदौर के आसपास के जिलों को मिलाकर मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र का विस्तार किया जाएगा, जिससे इन क्षेत्रों में विकास की रफ्तार तेज होगी।

क्या है योजना?

सरकार की इस योजना के तहत मेट्रोपॉलिटन अथॉरिटी की स्थापना की जाएगी, जिसके अध्यक्ष अपर मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी होंगे। ये अधिकारी सीधे मुख्यमंत्री को रिपोर्ट करेंगे, जिससे योजनाओं के क्रियान्वयन में तेजी आएगी।

भोपाल के मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र में भोपाल, सीहोर, रायसेन और विदिशा को शामिल किया जाएगा, जबकि इंदौर के साथ उज्जैन, देवास और धार जिलों को मिलाकर एक विस्तृत महानगरीय क्षेत्र बनाया जाएगा।

तेजी से होगा बुनियादी ढांचे का विकास

इस पहल से दोनों महानगरों और उनके आसपास के जिलों में बुनियादी ढांचे का विकास तेजी से होगा। यातायात, परिवहन, शिक्षा, स्वास्थ्य और उद्योगों के लिए बेहतर अवसर उपलब्ध कराए जाएंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे क्षेत्र में रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलेगा और निवेशकों के लिए नए अवसर पैदा होंगे।

ग्वालियर और जबलपुर को भी मिल सकता है मौका

सरकार की योजना के अनुसार, यदि इंदौर और भोपाल में यह मॉडल सफल रहता है, तो ग्वालियर और जबलपुर को भी इसी तर्ज पर मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र के रूप में विकसित किया जा सकता है। इससे मध्यप्रदेश के अन्य प्रमुख शहरों को भी बड़े आर्थिक और बुनियादी विकास का लाभ मिलेगा।

क्या है स्टेट कैपिटल रीजन (एससीआर)?

एनसीआर (नेशनल कैपिटल रीजन) की तर्ज पर तैयार किया जा रहा यह मॉडल एससीआर (स्टेट कैपिटल रीजन) कहलाएगा। एनसीआर में दिल्ली समेत हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कई जिले शामिल हैं, जिससे पूरे क्षेत्र का समग्र विकास संभव हुआ है। इसी तरह, मध्यप्रदेश सरकार भी अपने प्रमुख शहरों के आसपास के क्षेत्रों को एकीकृत कर उनका सुनियोजित विकास सुनिश्चित करना चाहती है।

कमलनाथ सरकार भी कर चुकी थी योजना पेश

गौरतलब है कि इससे पहले तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने भी मेट्रोपॉलिटन अथॉरिटी की स्थापना का प्रस्ताव रखा था, लेकिन सरकार बदलने के बाद इस योजना को अमल में नहीं लाया जा सका था। अब मुख्यमंत्री मोहन यादव के नेतृत्व में इस महत्वाकांक्षी योजना को गति देने की तैयारी की जा रही है।

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