कटनी कल रात सोने के पहले महाशिवरात्री के भंडारा का प्रसाद लेने मंदिर पहुंच गया। भोलेनाथ के अनन्य भक्तों ने प्रसाद के साथ थोड़ा भांग भी पिला दिया। दूध , पिस्ता , काजू और बादाम के साथ भोले बाबा का प्रसाद इतना गजब था, कि कहना हीं क्या? हमने भी जम कर दबा लिया। शाम होते होते भांग की खुमारी दिमाग के नसों में असर डालने लग गईं। पहले तो सिर घूमा और फ़िर ना जाने कैसे कैसे फ़ितूर दिमाग में घूमने लगे! मैं बिस्तर पर लेट गया और सोने की कोशिश करने लगा, पर क्या बताउं पत्रकारिता तो भांग के चढ़ने पर भी हावी थी। ना जाने कब नींद आ गई। सपने के पहले चरण में मैने देखा कि कलेक्टर साहब सरसों के खेतों में किसानों से बात कर रहे हैं। चारों तरफ़ अमले के लोग एक बड़िया मौके की तलाश में है जहां साहब की बेहतरीन तस्वीर ली जा सके।
इसी बीच साहब के मोबाईल पर एक नोटिफ़िकेशन का साउंड आता है और साहब अपना व्हाट्स एप्प देखते हैं। किसी सिरफ़िरे पत्रकार ने माधवनगर ग्राम पंचायत भवन के पास चल रहे निर्माण कार्य के लिए प्रशासन पर तोहमत लगा दिया है। फ़िर क्या अगले पल में सपने में दिखा कि साहब जेम्स बॉड की तरह अचानक माधवनगर ग्राम पंचायत भवन के पास आकाश से उतर रहे हैं। जिले का सारा प्रशासनिक अमला साहब की जय जयकार कर रहा है। साहब जैसे हीं जमीन पर आते हैं आकाश से पुष्प बरसने लगते हैं। चारो ओर साहब का जयकारा लगने लगता है। जिले के तमाम पत्रकार साहब के इस अद्भुत रूप को अपने अपने शब्दों में ब्रेकिंग करने के काम में जुट जाते हैं। अचानक साहब आदेश जारी करते हैं कि यह नीली टीन की चादर को उखाड फ़ेंका जाए जिसकी आड़ में प्रशासन की जमीन का चीर हरण हो रहा है। नगर निगम कमिश्नर की तो जैसे घीग्घी बंद गई हो! धीरे से कहते हैं साहब के आदेश का पालन किया जाए। बे-मन से घुरघुराती हुई जेसीबी टीन के घेरे की ओर बढती है। और टीन को तोड़ने के लिए जैसे हीं ताकत लगाती है उसकी घड़घराहट और बढ जाती है अचानक आवाज़ आती है – ना खुद ठीक से सोएंगे ना घर वालों को सोने देंगे। दरअसल नींद में वो घरघराहट मेरी हीं थी, जो पत्नी के एक आवाज पर बंद हो गई थी। कुछ देर करवट बदलता रहा और सोचता रहा क्या यह सपना था, या आने वाले कल की आहट? जो भी हो अपना क्या? कौन से अपने बाप की जमीन है, जिसकी है उसे हीं परवाह नही तो अपन काहे फ़्री फ़ोकट का टेंशन लें!
ब्यूरो हीरा विश्वकर्मा