भारत में बिकने वाले सभी नमक और चीनी ब्रांड्स में माइक्रोप्लास्टिक्स की मौजूदगी का चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। यह खबर आपको हैरान कर सकती है। यह दावा पर्यावरणीय शोध संगठन Toxics Link ने अपने हालिया अध्ययन में किया है। न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, चाहे वह बड़ा ब्रांड हो या छोटा, पैक्ड हो या अनपैक्ड, सभी नमक और चीनी ब्रांड्स में माइक्रोप्लास्टिक्स पाए गए हैं।
स्टडी में 10 तरह के नमक पर शोध हुआ
- शोधकर्ताओं ने नमक के 10 प्रकारों का परीक्षण किया, जिनमें टेबल सॉल्ट, रॉक सॉल्ट, समुद्री नमक और स्थानीय कच्चा नमक शामिल थे। स्टडी में पता चला कि आयोडीन युक्त नमक में माइक्रोप्लास्टिक्स की सबसे अधिक मात्रा थी, जिसके प्रति किलो 89.15 टुकड़े का घनत्व था, जबकि जैविक रॉक सॉल्ट में माइक्रोप्लास्टिक्स की सबसे कम मात्रा थी, जो 6.70 टुकड़े प्रति किलो थी। आयोडीन युक्त नमक में माइक्रोप्लास्टिक्स मल्टी-कलर्ड पतली फाइबर और फिल्म के रूप में पाए गए।
- चीनी के लिए शोधकर्ताओं ने ऑनलाइन और स्थानीय बाजारों से खरीदी गई 5 प्रकार की शुगर का टेस्ट किया। इन नमूनों में माइक्रोप्लास्टिक्स की मात्रा 11.85 से 68.25 टुकड़े प्रति किलो के बीच पाई गई। गैर-जैविक चीनी में सबसे अधिक माइक्रोप्लास्टिक्स थे।
‘माइक्रोप्लास्टिक्स की मौजूदगी चिंता का विषय’
Toxics Link के फाउंडर-डायरेक्टर रवि अग्रवाल ने कहा- “हमारे अध्ययन का उद्देश्य माइक्रोप्लास्टिक्स पर मौजूदा वैज्ञानिक डेटा को मजबूती देना था, ताकि ग्लोबल प्लास्टिक ट्रीटी इस समस्या को ज्यादा दमदारी और केंद्रित तरीके से उठा सके।” Toxics Link के एसोसिएट डायरेक्टर सतीश सिन्हा ने कहा, “सभी नमक और चीनी नमूनों में माइक्रोप्लास्टिक्स की बड़ी मात्रा का पता लगाना चिंता का विषय है और यह दीर्घकालिक स्वास्थ्य प्रभावों पर विस्तृत शोध की आवश्यकता को दर्शाता है।”
क्या उबालने से कम होगी माइक्रोप्लास्टिक्स की मात्रा?
इससे पहले, चीन की गुआंगज़ौ मेडिकल यूनिवर्सिटी और जिनान यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा की गई एक रिसर्च में सुझाव दिया गया था कि पानी को उबालने और फिल्टर करने से उसमें मौजूद माइक्रोप्लास्टिक्स की मात्रा को कम किया जा सकता है। इस प्रक्रिया के दौरान कुछ मामलों में 90% तक नैनोप्लास्टिक्स और माइक्रोप्लास्टिक्स हटा दिए गए