कॉलेस्ट्रॉल को हमेशा बुरी नजर से देता जाता है, जिससे हमारी सेहत काफी खराब हो सकती है. इससे बचने के लिए ऑयली और मीठे फूड्स को छोड़ने की सलाह दी जाती है, वरना सबसे पहले मोटापा बढ़ता है, फिर खून में प्लाक जमा होने के कारण नसों में रुकावट पैदा हो जाती है. इसके कारण हार्ट अटैक, हार्ट फेलियर, हाइपरटेशन, डायबिटीज, कोरोनरी आर्टरी डिजीज और ट्रिपल वेसल डिजीज जैसी बीमारियों का खतरा पैदा हो जाता है, कई बार तो ये इंसान की मौत का कारण बन जाता है.
कॉलेस्टॉल (Cholesterol) के बारे में कई तरह की मिथ बेहद फेमस है, इस आर्टिकल को पढ़कर आप ये पता कर सकते हैं कि कोलेस्ट्रॉल के बारे में आपको कितनी जानकारी है, और जो आपको पता है, वो सही भी है या नहीं? इसको लेकर हमने डॉक्टर इमरान अहमद से बात की.
1. सभी कॉलेस्ट्रॉल बुरे होते हैं
कोलेस्ट्रॉल असल में हमारे भोजन का एक अहम हिस्सा है और इसे छोड़ना नहीं चाहिए. इसका मतलब है कि इसमें पोषक तत्व होते हैं जो अन्य पोषक तत्वों की मदद से झिल्ली संरचना के निर्माण में मदद करते हैं. भले ही हाई कोलेस्ट्रॉल दिल की बीमारियों के जोखिम की तरफ ले जाता है, लेकिन शरीर के लिए ये पर्याप्त मात्रा आवश्यक है और संतुलन बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है. दरअसल शरीर में 2 तरह के कोलेस्ट्रॉल मौजूद होते हैं LDL और HDL. एचडीएल यानी हाई डेंसिटी वाले लिपोप्रोटीन अच्छे कोलेस्ट्रॉल होते हैं जो लिवर फंक्शन और इसकी और सेहत को बनाए रखने में मदद करते हैं जबकि कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन हार्ट के लिए नुकसानदेह साबित हो सकते हैं.
2. फिट लोग हाई कोलेस्ट्रॉल डाइट ले सकते हैं
अगर आपको लगता है कि आपका वेट रेशियो परफेक्ट है और बीएमआई के अनुसार आपको फिट माना जाता है, तो आप अधिक कोलेस्ट्रॉल का सेवन कर सकते हैं, ये गलत है. आपको कभी भी जरूरत से ज्यादा कोलेस्ट्रॉल का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि ये फैचऔर कैल्शियम जैसे अन्य पदार्थों के साथ मिल सकता है जिसके कारण नसों में रुकावट हो सकती है जिससे गंभीर जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है. अगर आप अपने हेल्दी वेट के बारे में सोचकर अधिक कोलेस्ट्रॉल का सेवन करते हैं, तो आपको हार्ट डिजीज और स्ट्रोक का जोखिम हो सकता है क्योंकि नसों में रुकावट के लक्षण का पता तब तक नहीं चलता जब तक हालात गंभीर न हो जाएं.
3. सभी की कोलेस्ट्रॉल की डिमांड एक जैसी होती है
कई लोगों में कोलेस्ट्रॉल के सेवन को लेकर ऐसी गलतफहमी है. हर किसी की बॉडी की फंक्शनिंग और खपत के स्तर अलग-अलग होते हैं. एक इंसान जो ज्यादा फिजिकल एक्टिविटीज करता है, उसमें कोलेस्ट्रॉल की डिमांड दूसरों की तुलना में अधिक हो सकती है. ये उस बीमारी के इतिहास पर भी निर्भर करता है जिससे वो शख्स पीड़ित है, परिवार में मधुमेह का इतिहास रखने वाले व्यक्ति को बहुत कम कोलेस्ट्रॉल का सेवन करना चाहिए, जबकि जिस व्यक्ति को कोई बड़ी स्वास्थ्य समस्या नहीं है, वह अपने शरीर में थोड़ा अधिक कोलेस्ट्रॉल ले सकता है.असल में समान कोलेस्ट्रॉल स्तर वाले लोगों में ब्लड प्रेशर भी अलग-अलग तरीके से प्रभावित होता है, जिसका मतलब है कि एक जैसे कोलेस्ट्रॉल का लेवल हर व्यक्ति के लिए समान तरीके से काम नहीं करता है.