यूक्रेन यात्रा से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार रात पोलैंड में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि “यह युद्ध का समय नहीं है” और सभी विवादों का समाधान कूटनीति और संवाद के जरिए होना चाहिए। पीएम मोदी ने राजधानी वारसॉ में कहा कि भारत ने दशकों तक सभी देशों से दूरी बनाए रखी थी। लेकिन आज का भारत सभी देशों के साथ करीबी रिश्ते बनाने पर जोर दे रहा है। इस दौरान हॉल में “मोदी-मोदी” के नारे भी गूंजे।
पीएम नरेंद्र मोदी 23 अगस्त को जाएंगे यूक्रेन
- प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- “सहानुभूति भारतीयों की पहचान है। जब भी किसी देश में कोई संकट आता है, भारत सबसे पहले मदद के लिए आगे आता है। कोविड के समय भी भारत ने मानवता को प्राथमिकता दी। भारत शांति का समर्थक है और बुद्ध की परंपरा में विश्वास करता है। इस समय हमें एकजुट होकर चुनौतियों का सामना करना होगा। भारत कूटनीति और संवाद के माध्यम से समाधान पर जोर देता है।”
- प्रधानमंत्री मोदी की यह टिप्पणी उनकी आगामी यूक्रेन यात्रा से पहले आई है, जो 1991 में स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा होगी। मोदी, यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की के न्यौते पर जा रहे हैं। उन्होंने कहा है कि वे यूक्रेन में चल रहे संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान पर चर्चा करेंगे।
- यह यात्रा मोदी के रूस दौरे के करीब 6 हफ्ते बाद हो रही है, जिसकी अमेरिका और उसके कुछ पश्चिमी सहयोगियों ने आलोचना की थी। प्रधानमंत्री मोदी की पोलैंड यात्रा भी 45 साल में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा है। उन्होंने यूक्रेन में युद्ध के दौरान फंसे भारतीय छात्रों की मदद के लिए भारतीय समुदाय और पोलैंड सरकार की सराहना की।
छात्रों की मदद के लिए पोलैंड का आभार जताया
पीएम मोदी ने कहा, “आपने यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों की बहुत मदद की। आपने उनके लिए अपने घरों के दरवाजे खोले और लंगर का आयोजन किया। पोलैंड सरकार ने भी भारतीय छात्रों के लिए वीजा प्रतिबंध हटाकर उनके लिए दरवाजे खोल दिए। आज भी जब मैं उन छात्रों से मिलता हूं, जो यूक्रेन से लौटे हैं, वे आप सभी और पोलैंड सरकार की प्रशंसा करते हैं। मैं 140 करोड़ भारतीयों की ओर से आप सभी को, पोलैंड सरकार और लोगों को धन्यवाद देता हूं और आपको सलाम करता हूं।”
भारत एक जीवंत लोकतंत्र: पीएम मोदी
भारत में लोकसभा चुनावों का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा, “भारत न केवल लोकतंत्र की जननी है, बल्कि यह एक सहभागी और जीवंत लोकतंत्र भी है। भारतीयों का लोकतंत्र में अटूट विश्वास है, जिसे हमने हालिया चुनावों में देखा है। यह इतिहास का सबसे बड़ा चुनाव था। यूरोपीय संघ में जहां 180 मिलियन मतदाताओं ने मतदान किया, वहीं भारत में 640 मिलियन मतदाताओं ने चुनाव में हिस्सा लिया।”