हरियाणा विधानसभा चुनाव का मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच माना जा रहा है. मगर, इनेलो और जेजेपी दलित आधार वाले दलों के साथ हाथ मिलाकर किंगमेकर बनने की जुगत में हैं. इनेलो ने मायावती की बसपा के साथ गठबंधन कर रखा है. जेजेपी चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी (आसपा) के साथ मिलकर चुनावी मैदान में उतरी है. कांग्रेस और बीजेपी के उम्मीदवारों के ऐलान के बाद जिस तरह से सियासी बगावत मची है, उसी के चलते ही बीएसपी-इनेलो और जेजेपी-आसपा क्या अपने उम्मीदवारों के ऐलान में देरी कर रही हैं?
इनेलो और बसपा मिलकर चुनाव लड़ रही हैं. सीट शेयरिंग के तहत 53 सीट पर इनेलो चुनाव लड़ रही तो 37 सीट पर बसपा किस्मत आजमा रही है. इसी तरह जेजेपी और आजाद समाज पार्टी के बीच सीट बंटवारे में 70 सीट पर जेजेपी और 20 सीट पर आसपा के चुनाव लड़ने का प्लान है. दोनों ही दलों ने अभी तक अपने सभी उम्मीदवारों के नाम का ऐलान नहीं किया है. जबकि नामांकन में सिर्फ दो दिन ही शेष हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इन दलों को उम्मीदवार नहीं मिल रहे या फिर बीजेपी और कांग्रेस के बागी नेताओं का इंतजार है?
पहली लिस्ट में 19 और दूसरी में 12 उम्मीदवारों का ऐलान
जेजेपी-आसपा ने अभी तक हरियाणा की 90 में से 31 सीटों पर ही उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया है. जेजेपी-आसपा ने उम्मीदवारों की दो सूची ही जारी की हैं. इसमें पहली लिस्ट में 19 और दूसरी में 12 सीटों पर नाम घोषित किए हैं. पहली लिस्ट के 19 उम्मीदवारों में 15 जेजेपी और 4 आसपा के कैंडिडेट थे. इसके बाद सोमवार को जारी 12 उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट में 10 जेजेपी और दो आसपा के प्रत्याशी हैं. इसी तरह से इनेलो और बसपा ने अभी तक सिर्फ 14 सीट पर ही कैंडिडेट के नाम की घोषणा की है.
हरियाणा में इनेलो-बसपा गठबंधन को 76 सीट पर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान करना बाकी है तो जेजेपी-आसपा गठबंधन को 59 सीट पर कैंडिडेट के नाम का ऐलान करना है. इस तरह दोनों ही गठबंधन के लिए विधानसभा चुनाव सियासी वजूद बचाने का है. ऐसे में जेजेपी, इनेलो ही नहीं बसपा भी बहुत सोच समझकर अपने कैंडिडेट के नाम का ऐलान कर रही है. तीनों ही दलों की नजर जिताऊ कैंडिडेट पर है. इसके लिए बीजेपी और कांग्रेस से बगावत करने वाले नेताओं का भी इंतजार कर रही है.
आदित्य चौटाला ने थाम लिया इनेलो का दामन
बीजेपी से विधानसभा टिकट न मिलने के बाद आदित्य चौटाला ने पार्टी को अलविदा कह दिया है. उन्होंने इनेलो का दामन थाम लिया है. इनेलो प्रमुख अभय चौटाला ने आदित्य को पार्टी में शामिल कराते ही डबवाली विधानसभा सीट से प्रत्याशी भी बना दिया है. इसी तरह से आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस और बीजेपी के कई बागी नेताओं को प्रत्याशी बनाया है. ऐसे में साफ है कि इनेलो-बसपा गठबंधन ही नहीं जेजेपी-आसपा सहित आम आदमी पार्टी की नजर दलबदलू नेताओं पर टिक गई है.
हरियाणा विधानसभा चुनाव में टिकट की सबसे ज्यादा डिमांड कांग्रेस में है. इसलिए पार्टी फूंक-फूंककर कदम रख रही है. पार्टी ने अभी तक सिर्फ 41 सीट पर ही उम्मीदवार घोषित किए हैं. इनमें से 28 मौजूदा विधायक ही हैं. मौजूदा विधायकों को टिकट देना, इसके पीछे कहीं न कहीं बगावत का डर साफ दिखाई पड़ रहा है. कांग्रेस और बीजेपी नेताओं की बगावत पर इनेलो, जेजेपी, आम आदमी पार्टी और बसपा की नजर है. अगर यूं कहें कि ये दल, कांग्रेस और बीजेपी में बगावत को अपने लिए संजीवनी मान रहे हैं. इसके लिए इनेलो, बसपा, जेजेपी ने बागी नेताओं से संपर्क साधना भी शुरू कर दिया है.
छोटे दलों को ऐसे उम्मीदवारों की तलाश
हरियाणा में इनेलो के पास एक ही मौजूदा विधायक अभय सिंह चौटाला हैं. 2019 के चुनाव में जेजेपी के दस विधायक थे. अगर इनेलो-बसपा, जेजेपी को बगावत करने वाले नेता मिलते हैं तो कई सीटों पर उनकी स्थिति मजबूत हो सकती है. ऐसे में ये तीनों दल, नामांकन भरने की आखिरी तारीख तक बगावत करने वाले उम्मीदवारों के आने का इंतजार करेंगी. छोटे दलों को ऐसे उम्मीदवारों की तलाश है, जो प्रदेश में पूर्व मंत्री या विधायक रहे हों. ऐसे में ये दल, अभी 90 सीटों पर एक साथ उम्मीदवारों की सूची जारी नहीं कर रहे हैं. बसपा भी मजबूत उम्मीदवार की फिराक में है, जिसके लिए दूसरे दलों के बागी नेताओं पर नजर गड़ाए हुए है.