नई दिल्ली । लोकसभा में नेता विपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के अमेरिका में आरक्षण को लेकर दिए बयान पर भाजपा और कांग्रेस के बीच वार-पलटवार देखने को मिल रहा।
एक तरफ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राहुल गांधी को निशाने पर लेते हुए कहा कि जब तक भाजपा है, आरक्षण को कोई छू भी नहीं सकता और देश की एकता के साथ कोई खिलवाड़ नहीं कर सकता। वहीं, कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने राहुल गांधी के बयान का बचाव किया।
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी हमेशा एकता और समानता के पक्षधर रहे हैं, जबकि भाजपा और उसके वैचारिक गुरुओं ने इसके विपरीत काम किया है। राहुल गांधी इस समय अमेरिका में हैं, जहां वे भारतीय समुदाय के सदस्यों और अमेरिकी नेताओं से बातचीत कर रहे हैं।
कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ”राष्ट्रीय हित और आरक्षण के बारे में उपदेश देने वालों को सबसे पहले सामाजिक न्याय का विरोध करने के आरएसएस के अपने ट्रैक रिकॉर्ड को देखना चाहिए। राहुल गांधी हमेशा एकता और समानता के पक्षधर रहे हैं, जबकि भाजपा और उसके वैचारिक गुरुओं ने इसके विपरीत काम किया है, राष्ट्र को विभाजित करना और हाशिए पर पड़े समुदायों के साथ विश्वासघात किया जा रहा है। देश जानता है कि भारत की प्रगति में कौन बाधा डाल रहा है।”
इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक्स पोस्ट में लिखा, ”देशविरोधी बातें करना और देश को तोड़ने वाली ताकतों के साथ खड़े होना राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी की आदत सी बन गई है। चाहे जम्मू-कश्मीर में जेकेएनसी के देश और आरक्षण विरोधी एजेंडे का समर्थन करना हो, या फिर विदेशी मंचों पर भारत विरोधी बातें करनी हो, राहुल गांधी ने देश की सुरक्षा और भावना को हमेशा आहत किया है। भाषा से भाषा, क्षेत्र से क्षेत्र और धर्म से धर्म में भेदभाव लाने की बात करना राहुल गांधी की विभाजनकारी सोच को दर्शाता है।”
उन्होंने आगे लिखा, ”राहुल गांधी ने देश से आरक्षण को समाप्त करने की बात कहकर कांग्रेस का आरक्षण विरोधी चेहरा एक बार फिर से देश के सामने लाने का काम किया है। मन में पड़े विचार और सोच किसी ना किसी माध्यम से बाहर आ ही जाते हैं। मैं राहुल गांधी को बताना चाहता हूं कि जब तक भाजपा है, आरक्षण को कोई छू भी नहीं सकता और देश की एकता के साथ कोई खिलवाड़ नहीं कर सकता।”
इससे पहले मंगलवार को वाशिंगटन डीसी स्थित जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय में एक छात्र ने उनसे पूछ लिया कि क्या जाति-आधारित आरक्षण के अलावा जमीनी स्तर पर संस्थानों को मजबूत करने के लिए कोई और बेहतर तरीका है। जिस पर राहुल गांधी ने कहा था, “हम आरक्षण खत्म करने के बारे में तब सोचेंगे, जब भारत में निष्पक्षता होगी। इस तरह से यह एक समस्या है।”