हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है. पितृ पक्ष भाद्रपद माह की पूर्णिमा से अमावस्या तक मनाया जाता है. पितृ पक्ष के दौरान पितरों का तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान किया जाता है. मान्यता है कि इन अनुष्ठानों से पितर प्रसन्न होते हैं और अपने वंशजों पर अपना आशीर्वाद बरसाते हैं. पितृ पक्ष की शुरुआत भाद्रपद पूर्णिमा तिथि से होती है. इस साल पितृ पक्ष की सही तिथि क्या है? आइए पंडित सच्चिदानंद त्रिपाठी से जानते हैं.
कब से शुरू हो रहा पितृपक्ष
इस साल पितृ पक्ष 17 सितंबर मंगलवार से शुरू होने जा रहा है. 17 सितंबर को पितृ पक्ष की पूर्णिमा के दिन श्राद्ध है. पितृ पक्ष 2 अक्टूबर, बुधवार को अमावस्या के दिन समाप्त होगा. उस दिन श्राद्ध की अमावस्या होगी. इस समय शुभ कार्यों पर रोक लगा दी जाती है. ब्रह्म पुराण में उल्लेख है कि पितरों के लिए विधि-विधान से तर्पण करने से पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है. कहा जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान पितरों के लिए सभी तरह के अनुष्ठान करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
पितृ पक्ष की श्राद्ध तिथियां-
- 17 सितंबर 2024 (पूर्णिमा श्राद्ध )
- 18 सितंबर 2024 (प्रतिपदा श्राद्ध )
- 19 सितंबर 2024 (द्वितीया श्राद्ध)
- 20 सितंबर 2024 (तृतीया श्राद्ध )
- 21 सितंबर 2024 (चतुर्थी श्राद्ध)
- 21 सितंबर 2024 (महा भरणी)
- 22 सितंबर 2024 (पंचमी श्राद्ध)
- 23 सितंबर 2024 (षष्ठी श्राद्ध)
- 23 सितंबर 2024 (सप्तमी श्राद्ध)
- 24 सितंबर 2024 (अष्टमी श्राद्ध)
- 25 सितंबर 2024 (नवमी श्राद्ध)
- 26 सितंबर 2024 (दशमी श्राद्ध)
- 27 सितंबर 2024 (एकादशी का श्राद्ध)
- 29 सितंबर 2024 (द्वादशी श्राद्ध )
- 29 सितंबर 2024 (मघा श्राद्ध)
- 30 सितंबर 2024 (त्रयोदशी श्राद्ध )
- 1 अक्टूबर 2024 (चतुर्दशी श्राद्ध )
- 2 अक्टूबर 2024 (सर्वपितृ अमावस्या)
श्राद्ध विधि
पितृ पक्ष के दौरान पितरों का तर्पण ब्राह्मण के माध्यम से करवाना चाहिए. श्राद्ध में दान का विशेष महत्व है. ब्राह्मणों के साथ-साथ जरूरतमंद लोगों को भी दान देना चाहिए.श्राद्ध के लिए सिंदूर, रोली, सुपारी, रक्षा सूत्र, कपूर, जनेऊ, हल्दी, घी, शहद, काले तिल, तुलसी और पान के पत्ते, जौ, गुड़, दीया, धूपबत्ती, दही, गंगाजल, केला, सफेद फूल, उड़द की दाल, मूंग और गन्ना जैसी चीजों की जरूरत होती है.