जब हम सेहत की बात करते हैं, तो खानपान की आदतें बेहद महत्वपूर्ण होती हैं. भागदौड़ भर इस जिंदगी में अक्सर हम ऐसा खाना चुनते हैं, जो स्वाद में अच्छा तो होता है, लेकिन सेहत के नजरिए से बिल्कुल अच्छा नहीं होता है. ऐसे में खाने के सही चुनाव के लिए आयुर्वेद एक महत्वपूर्ण मार्गदर्शक साबित होता है, जो भोजन के सही समय और प्रकार का ज्ञान देता है.
सेहत के लिए जरूरी ये 6 रस
आयुर्वेद के अनुसार, शरीर को स्वस्थ रखने के लिए भोजन में छह रसों का होना आवश्यक है. ये रस हैं: मधुर (मीठा), लवण (नमकीन), आंवला (खट्टा), कटु (कड़वा), तिक्त (तीखा) और कषाय (कसैला). इन रसों का संतुलित सेवन शरीर के लिए पोषक तत्वों का उचित स्तर बनाए रखने में मदद करता है.
मिलते हैं ये फायदे
आयुर्वेद का मानना है कि इन रसों का सेवन करने से न केवल हमारे शरीर की पाचन क्रिया बेहतर होती है, बल्कि ये हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाते हैं. जब हम अपने भोजन में सभी छह रसों को शामिल करते हैं करते हैं, तो यह न केवल हमारे शरीर को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है, बीमारियों से भी बचाता है.
आयुर्वेद में छह रसों का महत्व
मधुर रस (मीठा)- यह शरीर को ऊर्जा और ताकत देता है. इसके उचित सेवन से शरीर के लिए आवश्यक पोषण मिलता है, लेकिन अधिक मात्रा में सेवन से डायबिटीज जैसी समस्याएं पैदा हो सकती हैं.
आंवला रस (खट्टा)- पाचन को बढ़ावा देने के साथ-साथ यह शरीर को विटामिन और खनिज से भरता है, जिससे इम्यूनिटी मजबूत होती है.
लवण रस (नमकीन)– यह पानी की कमी को पूरा करता है और पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है. हालांकि, इसका अधिक सेवन हाई ब्लड प्रेशर जैसी समस्याएं हो सकती हैं.
कषाय रस (कड़वा)- यह शरीर को टॉक्सिन से बचाता है, और पाचन में सुधार लाता है. इसकी विशेषता यह है कि इसके सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है.
तिक्त रस (तीखा)- यह रस बॉडी को नेचुरल रूप से डिटॉक्स करने का काम करता है. इसे डाइजेशन सिस्टम भी बूस्ट होता है.
कटु रस (तीखा)– यह शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है, लेकिन इसका अत्यधिक सेवन पाचन संबंधी समस्याएं पैदा कर सकता है.