हिंदू धर्म में दीपावली का पर्व न केवल लक्ष्मी पूजा और दीप प्रज्वलन का समय होता है, बल्कि इस दिन पितरों को सम्मानित करने और उन्हें सही दिशा दिखाने की परंपरा भी विशेष महत्व रखती है. मान्यता है कि दीपावली की रात, जब घरों में दीप जलते हैं, उस समय पितरों की आत्माएं घरों के पास आती हैं. इस समय पितरों को रास्ता दिखाना आवश्यक होता है ताकि वे अपनी मंजिल तक पहुंच सकें और परिवार पर अपनी कृपा बनाए रखें. ज्योतिषाचार्य पंडित शशिशेखर त्रिपाठी से जानें दिवाली की रात दीप जलाने का महत्व…
ज्योतिष के अनुसार, कार्तिक अमावस्या और चतुर्दशी के दिन, विशेष रूप से प्रदोष काल (सूर्यास्त के बाद का समय) में दीप जलाकर पितरों को मार्ग दिखाना आवश्यक होता है. यह परंपरा पितरों की आत्माओं को सम्मान देने का एक महत्वपूर्ण तरीका है. दीपावली के समय दीपक जलाने से न केवल घर में प्रकाश फैलता है, बल्कि इसे पितरों के लिए रास्ता दिखाने का प्रतीक भी माना जाता है
पौराणिक ग्रंथों में यह बताया गया है कि जब अमावस्या की रात को दीप जलाए जाते हैं, तो पितरों की आत्माएं प्रसन्न होती हैं और उनके आशीर्वाद से परिवार में सुख-समृद्धि आती है. यदि दीपावली की रात को घर के प्रत्येक कोने में दीप जलाकर पितरों को मार्ग दिखाया जाए, तो उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में समृद्धि का आगमन होता है.
ज्योतिष में कहा गया है कि अमावस्या की रात प्रदोष काल में पितरों को दीप जलाकर सम्मान देना चाहिए. यह मान्यता है कि इस समय पितरों की आत्माएं पृथ्वी पर आती हैं और अपने वंशजों की ओर ध्यान देती हैं. यदि इस समय पितरों को मार्ग दिखाया जाए, तो वे संतुष्ट होकर अपने परिवार को सुख और समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं.
पितरों के लिए दीप जलाने के लाभ
दीपावली पर पितरों को दीपक दिखाने की परंपरा से परिवार पर कई सकारात्मक प्रभाव होते हैं:
– पितरों की कृपा: पितर संतुष्ट होते हैं और परिवार को आशीर्वाद देते हैं.
– सुख-समृद्धि: पितरों के आशीर्वाद से जीवन में समृद्धि आती है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है.
– दरिद्रता का नाश: दीप जलाने और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने से घर से दरिद्रता दूर होती है.