ED ने बैंक धोखाधड़ी के मामले में 5 राज्यों में की कार्रवाई, 500 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति की जब्त

ईडी ने एक साथ पांच राज्यों में बैंक धोखाधड़ी मामले में बड़ा एक्शन लिया, जहां ईडी ने महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड और आंध्र प्रदेश पांचों राज्यों में कार्रवाई की. दरअसल यह मामला कॉरपोरेट पावर लिमिटेड और उनके प्रमोटर्स और डायरेक्टर मनोज जयसवाल, अभिजीत जयसवाल, अभिषेक जयसवाल और अन्य के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत दर्ज किए मामले में चल रही जांच पर बेस्ड हैं.

ईडी ने इस कार्रवाई के दौरान महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड और आंध्र प्रदेश पांचों राज्यों की कई जगहों से 4,037 करोड़ रुपये के बैंक धोखाधड़ी के मामले 503.16 करोड़ रुपये की चल और अचल संपत्ति जब्त की. कुर्क की गई संपत्तियों में कॉरपोरेट पावर लिमिटेड और मनोज कुमार जयसवाल के परिवार के सदस्यों और के अलावा कई शेल कंपनियों के नाम पर लिए गए बैंक बैलेंस, म्यूचुअल फंड, शेयर, कई जमीन संपत्तियां और बिल्डिंग्स भी शामिल हैं.

बैंक फंड का गलत इस्तेमाल

ये सभी संपत्तियां 24 अक्टूबर को कुर्क की गई थीं. ईडी ने आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और जालसाजी के कथित अपराधों के लिए कॉरपोरेट पावर लिमिटेड के प्रमोटर्स, डायरेक्टर्स और बाकी लोगों के खिलाफ CBI की ओर दर्ज की गई FIR के आधार पर जांच शुरू की थी. इस मामले शिकायत करने वाले यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के मुताबिक आरोपियों ने कथित तौर पर लोन लेने लिए परियोजना लागत में हेराफेरी की और बैंक फंड का गलत इस्तेमाल किया.

ईडी ने इस कार्रवाई के दौरान महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड और आंध्र प्रदेश पांचों राज्यों की कई जगहों से 4,037 करोड़ रुपये के बैंक धोखाधड़ी के मामले 503.16 करोड़ रुपये की चल और अचल संपत्ति जब्त की. कुर्क की गई संपत्तियों में कॉरपोरेट पावर लिमिटेड और मनोज कुमार जयसवाल के परिवार के सदस्यों और के अलावा कई शेल कंपनियों के नाम पर लिए गए बैंक बैलेंस, म्यूचुअल फंड, शेयर, कई जमीन संपत्तियां और बिल्डिंग्स भी शामिल हैं.

बैंक फंड का गलत इस्तेमाल

ये सभी संपत्तियां 24 अक्टूबर को कुर्क की गई थीं. ईडी ने आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और जालसाजी के कथित अपराधों के लिए कॉरपोरेट पावर लिमिटेड के प्रमोटर्स, डायरेक्टर्स और बाकी लोगों के खिलाफ CBI की ओर दर्ज की गई FIR के आधार पर जांच शुरू की थी. इस मामले शिकायत करने वाले यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के मुताबिक आरोपियों ने कथित तौर पर लोन लेने लिए परियोजना लागत में हेराफेरी की और बैंक फंड का गलत इस्तेमाल किया.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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