नई दिल्ली। केंद्र सरकार चीन सीमा तक आवागमन को और अधिक सुगम और सुचारू बनाने के लिए बड़ी पहल कर रही है। इसके तहत सीमा से जुड़े क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ करने के लिए नई सड़कों, पुलों और सुरंगों का निर्माण किया जा रहा है। अब, सरकार लेह से पैंगोंग लेक तक आवाजाही को हर मौसम में सुनिश्चित करने के लिए एक सुरंग बनाने पर गंभीरता से विचार कर रही है। यह सुरंग केला दर्रे के नीचे से बनाई जाएगी, जिसकी लंबाई करीब 8 किलोमीटर होगी। इस परियोजना पर लगभग 6000 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।
इस सुरंग के निर्माण से लेह से पैंगोंग झील तक पहुंचने में समय की बचत होगी और खराब मौसम में भी सीमावर्ती इलाके का संपर्क देश के अन्य हिस्सों से बना रहेगा। फिलहाल, पैंगोंग तक पहुंचने के लिए केला दर्रे से गुजरना पड़ता है, जो समुद्र तल से 18,600 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और यह देश का सबसे ऊंचा दर्रा है। इस दर्रे को पार करना जोखिमपूर्ण होता है, साथ ही यहां यात्रा करने में काफी समय लगता है। सुरंग बनने के बाद इन समस्याओं का समाधान हो जाएगा। गृह मंत्रालय ने हाल ही में इस परियोजना को लेकर बैठकें की हैं। इसके अलावा, 2022 में लद्दाख प्रशासन ने खारदुंग ला, फोतु ला, नामिका ला और केला पास पर चार नई सुरंगों के निर्माण का प्रस्ताव दिया था। इन सुरंगों के निर्माण से क्षेत्र में पर्यटन और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा, साथ ही रक्षा बलों की आवाजाही भी तेजी से और सुगम हो सकेगी।
इस सुरंग के निर्माण को लेकर बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन और सड़क परिवहन मंत्रालय के तहत नेशनल हाईवे एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के बीच विचार-विमर्श चल रहा है कि किसे इस परियोजना की जिम्मेदारी दी जाएगी। सूत्रों के अनुसार, यह परियोजना एक चुनौतीपूर्ण और महंगी योजना है, लेकिन सामरिक दृष्टि से इसे अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। जल्द ही इस परियोजना पर निर्णय लिया जा सकता है, जो लद्दाख के रणनीतिक विकास में अहम भूमिका निभाएगी।