स्कंद षष्ठी के दिन इन चीजों का करें दान, बन जाएंगे सभी बिगड़े काम!

हिंदू धर्म में स्कंद षष्ठी एक महत्वपूर्ण पर्व है जो भगवान कार्तिकेय को समर्पित है. कार्तिकेय भगवान शिव और देवी पार्वती के बड़े पुत्र हैं. यह पर्व मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है. भगवान कार्तिकेय को युद्ध के देवता माना जाता है. इस दिन उनकी पूजा करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है, ऐसा माना जाता है. कार्तिकेय बुद्धि के देवता भी हैं. इसलिए विद्यार्थी और ज्ञानार्थी इस दिन उनकी पूजा करते हैं. निःसंतान दंपतियों के लिए संतान प्राप्ति के लिए यह पूजा महत्वपूर्ण मानी जाती है. इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से सुख-समृद्धि और आरोग्य प्राप्त होता है.

पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास की स्कंद षष्ठी की तिथि 06 दिसंबर दिन शुक्रवार को दोपहर 12 बजकर 07 मिनट पर शुरू होगी और 07 दिसंबर, दिन शनिवार को सुबह 11 बजकर 05 मिनट पर समाप्त होगी.

शुभ योग योग

  • सर्वार्थ सिद्धि योग – 06 बजकर 30 मिनट से 05 बजकर 18 मिनट
  • रवि योग – 05 बजकर 18 मिनट से अगली सुबह 06 बजकर 31 मिनट

स्कंद षष्ठी की पूजा विधि

  • स्कंद षष्ठी के दिन शास्त्रोक्त विधि से भगवान कार्तिकेय की पूजा करनी चाहिए.
  • कार्तिकेय के माता-पिता शिव और पार्वती की भी पूजा करनी चाहिए.
  • भगवान कार्तिकेय को फल, फूल, मिठाई, धूप और दीप का नैवेद्य अर्पित किया जाता है.
  • मंत्र जाप: ‘ॐ स्कंदाय नमः’, ‘ॐ षडाननाय नमः’, ‘ॐ शरवणभवाय नमः’ इन मंत्रों का जाप करें.
  • भगवान कार्तिकेय की आरती करें और उनकी पसंद का भोग लगाएं.

स्कंद षष्ठी के दिन ये चीजें करें दान

  • फल: फल दान करने से स्वास्थ्य लाभ होता है और देवता प्रसन्न होते हैं.
  • दूध: दूध दान करने से ज्ञान और बुद्धि में वृद्धि होती है.
  • दही: दही दान करने से आयु और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है.
  • अनाज: गरीबों को अनाज दान करने से अन्नपूर्णा की कृपा प्राप्त होती है.
  • वस्त्र: गरीबों को वस्त्र दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है.
  • कंबल: सर्दी के मौसम में कंबल दान करने से विशेष पुण्य मिलता है.
  • गर्म कपड़े: गर्म कपड़े दान करने से भी पुण्य की प्राप्ति होती है.
  • किताबें: किताबें दान करने से ज्ञान का प्रसार होता है.

दान करते समय इन बातों का रखें ध्यान

  • शद्ध भाव से दान करें: दान करते समय मन में किसी भी प्रकार का अहंकार नहीं होना चाहिए.
  • जरूरतमंदों को दान करें: दान हमेशा जरूरतमंद लोगों को ही करना चाहिए.
  • दान करते समय मुस्कुराएं: दान करते समय मुस्कुराएं और दान लेने वाले का धन्यवाद करें.

स्कंद षष्ठी का इतिहास

पौराणिक कथाओं के अनुसार, दैत्य तारकासुरा ने देवताओं को बहुत परेशान कर रखा था. देवताओं ने भगवान शिव और पार्वती से प्रार्थना की. उनकी प्रार्थना सुनकर कार्तिकेय का जन्म हुआ और उन्होंने तारकासुर का वध कर देवताओं को मुक्त किया. इस विजय के उपलक्ष्य में देवताओं ने स्कंद षष्ठी का पर्व मनाया. स्कंद षष्ठी का पर्व लोगों को भगवान कार्तिकेय के शौर्य, बुद्धि और दयालुपन पर विश्वास रखने की प्रेरणा देता है.

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