सवाल ये है कि संसद का मौजूदा सत्र 20 दिसंबर तक है। ऐसे में संसद के इस सत्र में बिल पास नहीं होंगे। संयुक्त संसदीय समिति की मंजूरी मिलने के बाद अगर बिल संसद में बिना परिवर्तन पास हो गए तो यह कब तक अमल आएगा?
कैसे होगा जेपीसी का गठन?
संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में लोकसभा के 21 और राज्यसभा के 10 सदस्य शामिल होंगे। किस पार्टी के कितने सदस्य होंगे, यह संख्या संसद में पार्टियों की ताकत के हिसाब से तय होगी। ऐसे में सबसे बड़ी पार्टी होने से सबसे ज्यादा सदस्य और अध्यक्ष भाजपा से हो सकता है।
जेपीसी क्या करेगी?
एक देश-एक चुनाव से संबंधित आठ पेज के इस बिल में जेपीसी को अच्छा खासा होमवर्क करना होगा। संविधान के तीन अनुच्छेदों में परिवर्तन करने और एक नया प्रावधान जोड़ने की पेशकश की गई है। दरअसल, अनुच्छेद 82 में नया प्रावधान जोड़कर राष्ट्रपति द्वारा अपॉइंटेड तारीख पर फैसले की बात कही गई है। बता दें कि अनुच्छेद 82 जनगणना के बाद परिसीमन के बारे में है।
जेपीसी कब देगी रिपोर्ट?
संविधान का 129वां संशोधन और केंद्र शासित प्रदेश कानून संशोधन विधेयकों को अंतिम रूप देने में करीब-करीब पूरा 2025 लग सकता है। ऐसा होता है तो ये दोनों बिल सदन में 2026 में फिर जाएंगे।
अगर विशेष बहुमत जुटाकर बिल पास करवा लिए गए तो निर्वाचन आयोग के पास 2029 की तैयारी के लिए सिर्फ दो साल साल बचेंगे। एक देश-एक चुनाव के तहत सभी राज्यों और पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने के लिए यह समय पर्याप्त नहीं है।
क्या कोई डेडलाइन तय है?
नहीं, अभी तक विधेयक में इस बात का कोई जिक्र नहीं है कि यह कब से लागू होना है। केंद्र सरकार ने इसे लागू करने का अधिकार अपने पास रखा है। राष्ट्रपति की अधिसूचना का समय भी स्पष्ट नहीं किया है।
विधेयक पास होने के बाद क्या होगा?
ये सबसे अहम सवाल है कि साल 2029 के चुनाव के बाद राष्ट्रपति अधिसूचना जारी कर लोकसभा की पहली बैठक की तारीख तय करेंगी। चुनाव होंगे और फिर पांच साल लोकसभा का फुल टर्म 2034 में पूरा होगा।
इसके साथ ही सभी विधानसभाओं का कार्यकाल पूरा मान लिया जाएगा, तब जाकर चुनाव एक साथ कराए जा सकेंगे।