हर साल 12 अमावस्या होती हैं, जो विशेष रूप से पितरों की पूजा-अर्चना और उनकी शांति के लिए समर्पित होती हैं. अमावस्या का दिन विशेष रूप से पितरों के तर्पण और शांति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन स्नान और दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और पितृदोष से मुक्ति मिल सकती है. इसके अलावा, अमावस्या के दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि और पाप से मुक्ति मिलती है.
सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व होता है. यह अमावस्या जब सोमवार के दिन पड़ती है, तो इसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है. इस दिन विशेष रूप से पितरों की पूजा और तर्पण करने का महत्व होता है. 2024 में अब सोमवती अमावस्या 30 दिसंबर को आएगी. इस दिन वृद्धि योग और मूल नक्षत्र का विशेष संयोग बन रहा है, जो बहुत शुभ माना जाता है. इस संयोग के कारण पिंडदान, तर्पण और महादेव की पूजा से पितृदोष, ग्रह दोष और अन्य कष्टों से मुक्ति मिल सकती है.
पितरों को प्रसन्न करने के उपाय
उन्होंने बताया कि सोमवती अमावस्या के दिन पितरों को शांति देने और उनके आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए कुछ विशेष उपाय किए जा सकते हैं. सबसे पहले उस दिन से पितृ चालीसा का पाठ करें. पितृ चालीसा का नियमित पाठ करने से पितरों की नाराजगी दूर होती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है. इस दिन विशेष रूप से पितरों के नाम से तर्पण और पिंडदान करना चाहिए, जिससे उनकी आत्मा को शांति मिलती है.
दान-दक्षिणा का विशेष महत्व
इसके अलावा इस दिन बड़ों से आशीर्वाद लेना और किसी जरूरतमंद को दान देना भी शुभ माना जाता है. खासकर दान में उड़द की दाल, तिल, चीनी या जलदान करना विशेष रूप से लाभकारी होता है. इस दिन सूर्योदय से पूर्व उबटन और स्नान करने से शरीर और आत्मा को शुद्धि मिलती है. अंत में सोमवती अमावस्या पर भगवान शिव की पूजा करने से भी विशेष लाभ मिलता है. भोलेनाथ के मंत्रों का जाप और उनका अभिषेक करने से घर-परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है. वहीं इस दिन किए गए धार्मिक कार्यों से पितृदोष, ग्रह दोष और अन्य समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है.