यूपी के प्रयागराज में 13 जनवरी 2025 से 26 फरवरी 2025 तक महाकुंभ लगने जा रहा है. प्रयागराज में 12 साल बाद लगने जा रहे इस महाकुंभ में भाग लेने के लिए साधु-संतों समेत आम लोगों में जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है. महाकुंभ में शामिल होने के लिए साधु-संतों के सभी 13 अखाड़े बारी-बारी से गाजे-बाजे के साथ छावनी प्रवेश कर रहे हैं.
नशे के खिलाफ अभियान चला रहा अखाड़ा
धर्म-आध्यात्म की धूनी में रमे संन्यासियों के मस्त-मलंग अंदाज को देखकर हर कोई उत्साह से प्रफुल्लित हो जाता है. इन्हीं में से एक अखाड़ा है, जो नशे के खिलाफ अभियान चला रहा है. अगर अखाड़े से जुड़ा कोई भी साधु-संत चिलम सुलगाते हुए भी पकड़ा जाता है तो उसे एक चेतावनी देने के बाद तुरंत संस्था से निष्कासित कर दिया जाता है.
नशे के खिलाफ डटकर खड़े हुए इस अखाड़े का नाम श्री पंचायती महानिर्वाणी है. ये अखाड़ा 1300 साल पुराना है. देश भर में 7 हजार से ज्यादा छोटे-बड़े अखाड़े इस बड़े अखाड़े से जुड़े हुए हैं. अखाड़े के महामंडलेश्वर रवींद्रपुरी बताते हैं कि हमारे अखाड़े में धूम्रपान पूरी तरह वर्जित है. हम नशे के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं. यहां पर कोई भी संत ना तो चिलम लगाता हुआ नजर आ सकता है और न ही नशा करता हुआ दिख सकता है.
चिलम सुलगाने पर कर दिया जाता निष्कासित
महंत बताते हैं कि श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े में अगर कोई साधु चिलम सुलगाता हुआ दिखता है तो पहली बार में उसे कठोर चेतावनी दी जाती है. लेकिन दूसरी बार गलती दोहराने पर अखाड़े से निष्कासित कर दिया जाता है. अखाड़े का नियम स्पष्ट है कि जो चिलम पिएगा, वो अखाड़े में नहीं रह सकता और इस नियम से कोई समझौता नहीं है. उन्होंने बताया कि प्रयागराज महाकुंभ में भी अखाड़े का यह नियम सख्ती के साथ लागू रखा जाएगा और सभी संतों व अनुयायियों को इसका पालन करना होगा.
योगी का महाकुंभ मॉडल एमपी में होगा लागू
उधर प्रयागराज महाकुंभ में किए जा रहे सुरक्षा इंतजामों पर मध्य प्रदेश सरकार की भी नजरें लगी हुई हैं. असल में 2028 का अगला कुंभ उज्जैन में होने जा रहा है. जिसमें भी महाकुंभ की तरह करोड़ों श्रद्धालु शामिल होंगे. उज्जैन में होने वाले कुंभ को सिंहस्थ मेला कहा जाता है. ऐसे में एमपी सरकार अभी से 2028 के सिंहस्थ मेले की तैयारी में जुट गई है.
सीएम मोहन सिंह यादव के निर्देश पर एमपी पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों का एक दल प्रयागराज कुंभ का दौरा कर रहा है. अफसरों ने यूपी पुलिस के अधिकारियों के साथ बैठकर करके वहां किए जा रहे सुरक्षा-इंतजामों का जायजा लिया. इस बैठक के जरिए एमपी पुलिस ने यूपी पुलिस के सिक्योरिटी मॉडल को समझने की कोशिश की, जिसे वे सिंहस्थ मेले में लागू करना चाहती है.