जबलपुर। सिविल लाइन पुलिस थाने में पदस्थ सब इंस्पेक्टर विनोद दुबे को शुक्रवार को लोकायुक्त पुलिस की टीम ने रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया। सब इंस्पेक्टर ने एक पुराने केस को निपटाने के नाम पर शिकायतकर्ता से 10,000 रुपये की रिश्वत मांगी थी। मामले की पहली किस्त के रूप में 5,000 रुपये लेते समय लोकायुक्त की टीम ने उसे धर दबोचा।
कैसे हुआ खुलासा?
जानकारी के अनुसार, जबलपुर लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक को जहांगीर खान (28 वर्ष), निवासी टेडी नीम, शास्त्री वार्ड, हनुमानताल ने लिखित शिकायत दी थी। शिकायत में उन्होंने बताया कि वह पुरानी गाड़ियों की खरीद-फरोख्त का काम करता है। इसी सिलसिले में एक गाड़ी खरीदने के कारण थाना सिविल लाइन में उनके खिलाफ अपराध दर्ज किया गया था। इस मामले में से नाम हटाने के एवज में सब इंस्पेक्टर विनोद दुबे ने 10,000 रुपये की मांग की। जहांगीर खान ने रिश्वत न देने की ठानते हुए लोकायुक्त से शिकायत की।
लोकायुक्त टीम का ऑपरेशन
शिकायत मिलने के बाद लोकायुक्त पुलिस ने मामले की सत्यता जांचने के लिए ट्रैप योजना बनाई। उप पुलिस अधीक्षक सुरेखा परमार के नेतृत्व में कार्रवाई को अंजाम दिया गया। शुक्रवार को शिकायतकर्ता द्वारा रिश्वत की पहली किस्त के तौर पर 5,000 रुपये दिए जा रहे थे। जैसे ही सब इंस्पेक्टर ने पैसे लिए, लोकायुक्त टीम ने उसे पकड़ लिया।
आरोपित पर क्या कार्रवाई हुई?
उप पुलिस अधीक्षक सुरेखा परमार ने बताया कि सब इंस्पेक्टर विनोद दुबे के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई की जा रही है। रिश्वत के पैसे जब्त कर लिए गए हैं और मामले में आगे की जांच जारी है। इस ऑपरेशन में उप पुलिस अधीक्षक सुरेखा परमार, इंस्पेक्टर रेखा प्रजापति, और इंस्पेक्टर भूपेंद्र कुमार दिवान सहित अन्य अधिकारी शामिल थे।
रिश्वतखोरी पर सख्त रुख
लोकायुक्त पुलिस की इस कार्रवाई ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई समझौता नहीं किया जाएगा। यह कार्रवाई अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए एक सख्त संदेश है कि कानून से ऊपर कोई नहीं है।