नई दिल्ली। राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों से 805 ‘एप्स’ और 3266 ‘वेबसाइट-लिंक’ को I4C की सिफारिश पर ब्लॉक किया गया है। 399 बैंक और वित्तीय मध्यस्थ ऑनबोर्ड हो चुके हैं। साथ ही 6 लाख से अधिक संदिग्ध डेटा साझा किया गया है। 19 लाख से अधिक म्यूल खाते पकड़े गए हैं और 2038 करोड़ रुपये के संदिग्ध लेनदेन रोके गए हैं। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने नई दिल्ली में सोमवार को ‘साइबर सुरक्षा और साइबर अपराध’ विषय पर गृह मंत्रालय की संसदीय परामर्शदात्री समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए यह जानकारी दी है।
बैठक को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में भारत में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार हुआ है, जिसके कारण स्वाभाविक रूप से साइबर हमलों की संख्या में बढ़ोतरी देखने को मिली है। उन्होंने कहा कि साइबर स्पेस को अलग दृष्टि से देखें तो ‘सॉफ्टवेर’ ‘सर्विसेज’ और ‘यूजर्स’ तीनों का एक जटिल नेटवर्क है। उन्होंने कहा कि जब तक ‘सॉफ्टवेर’ ‘सर्विसेज’ और ‘यूजर्स’ के माध्यम से साइबर धोखाधड़ी को नियंत्रित नहीं किया जाएगा, तब तक साइबर स्पेस की समस्याओं का समाधान असंभव है।
शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नेतृत्व में गृह मंत्रालय ने साइबर सुरक्षित भारत बनाने की दिशा में अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। साइबर क्राइम ने सारी भौगोलिक सीमाओं को समाप्त कर दिया है। यह ‘बॉर्डरलेस’ और ‘फॉर्मलेस’ क्राइम है, क्योंकि इसकी कोई सीमा या तय स्वरुप नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत पिछले एक दशक में ‘डिजिटल क्रांति’ का साक्षी बना है। ‘डिजिटल क्रांति’ के साइज़ और स्केल को समझे बिना हम साइबर क्षेत्र की चुनौतियों का सामना नहीं कर सकते।
शाह के अनुसार, देश में आज 95 प्रतिशत गांव डिजिटली कनेक्ट हो चुके हैं। एक लाख ग्राम पंचायत वाई-फाई हॉटस्पॉट से युक्त हैं। पिछले दस वर्षों में इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों की संख्या साढ़े चार गुना बढ़ी है। वर्ष 2024 में UPI के द्वारा कुल 17, 221 लाख करोड़ रुपए मूल्य के 246 लाख करोड़ लेन-देन हुए हैं। शाह ने कहा कि 2024 में पूरी दुनिया में हुए डिजिटल लेन-देन में 48 प्रतिशत लेन-देन भारत में हुए। स्टार्ट-अप इकोसिस्टम के मामले में भी भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश बना। वर्ष 2023 में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में डिजिटल इकॉनमी का योगदान करीब 32 लाख करोड़ रुपये यानी 12 प्रतिशत रहा और करीब 15 मिलियन रोजगार का सृजन हुआ।