राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को राष्ट्रपति भवन में राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के एक समूह को संबोधित किया। राष्ट्रपति ने उनको सलाह दी कि विकास का लाभ समाज के सभी वर्गों और खासकर वंचित लोगों तक पहुंचना चाहिए। अधिकारियों को अपने कामकाज में स्थिरता और समावेशिता के सिद्धांत का पालन करना चाहिए। उन्होंने अफसरों को प्रशासनिक कामकाज और सरकारी नीतियों-कार्यक्रमों के क्रियान्वयन के दौरान राष्ट्रीय और समावेशी दृष्टिकोण अपनाने की सलाह दी।
राष्ट्रपति ने कहा कि शासन का सार लोगों की जरूरतों के प्रति जवाबदेही और संवेदनशीलता में है। साथ ही, विकास का लाभ समाज के सभी वर्गों, खासकर वंचितों और हाशिए पर पड़े लोगों तक पहुंचना चाहिए।
मसूरी के लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में 126वें प्रेरण प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग ले अधिकारियों को राष्ट्रपति ने पदोन्नति और भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल होने पर बधाई दी। द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि अधिकारियों को अपनी नई भूमिका में उदाहरण पेश करना चाहिए और अपने आसपास के लोगों को सार्वजनिक सेवा के लिए प्रयास करने के लिए प्रेरित करना चाहिए। नागरिक-केंद्रित प्रशासन लोगों के कल्याण को प्राथमिकता देता है। इमें गरीबों और वंचितों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
उन्होंने भावी अफसरों को सलाह दी कि नीतियों और कार्यक्रमों को इस तरह से लागू किया जाए कि लोगों की चिंताओं को कम किया सके। वे जो निर्णय लेते हैं और जो नीतियां लागू करते हैं, उनसे देश और लोगों के विकास में योगदान मिलना चाहिए। राष्ट्रपति ने कहा कि जब जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण क्षरण की चुनौतियों से निपटा जाता है, तो पर्यावरण के अनुकूल पहलों को बढ़ावा देना आवश्यक है।
भारत को बनाएं वैश्विक शिक्षा का केंद्र
दो दिन पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा था कि किसी भी देश के विकास का स्तर उसकी शिक्षा प्रणाली की गुणवत्ता से झलकता है। शिक्षा के साथ-साथ शोध पर भी बहुत ध्यान देने की जरूरत है। सरकार ने इसी मकसद से राष्ट्रीय अनुसंधान कोष की स्थापना की है। उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि उच्च शिक्षा संस्थान इस महत्वपूर्ण पहल का अच्छा उपयोग करेंगे और शोध को प्रोत्साहित करेंगे।