भोपाल । मध्य प्रदेश में पंजीकृत कर्मकारों की अंत्येष्टि सहायता और अनुग्रह सहायता राशि में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। यह राशि कर्मकारों के परिजनों के बैंक खातों की जगह अन्य खातों में जमा कर दी गई। इसके अलावा भी भारत के नियंत्रक-महा लेखापरीक्षक के प्रतिवेदन में कई योजनाओं में गड़बड़ी का खुलासा हुआ है।कैग की रिपोर्ट के मुताबिक कल्याण योजना निधि में पंजीकृत कर्मकारों के उत्तराधिकारी को अंत्येष्टि सहायता और अनुग्रह सहायता राशि के लिए संबंधित अधिकारी के पास निर्धारित प्रारूप में आवेदन करना होता है। इसी आवेदन पर संबंधित व सक्षम अधिकारी जांच के उपरांत मृत कर्मकार के उत्तराधिकारी के बैंक खाते में अंत्येष्टि और अनुग्रह राशि जमा की जाती है। इस प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया, बल्कि राशि को दूसरे बैंक खातों में जमा किया गया।
कैग की रिपोर्ट बताती है कि अंत्येष्टि और अनुग्रह राशि के भुगतान की नश्तियों और श्रम सेवा पोर्टल के आंकड़ों के विश्लेषण में एक बात साफ हुई है कि चयनित नगरीय निकायों में 142 प्रकरणों में संबंधित अधिकारियों ने 52 बैंक खातों में एक करोड़ 68 लाख रुपये जमा किए गए। यह खाते कर्मकार के उत्तराधिकारी के नहीं थे।
इतना ही नहीं, राज्य में प्राकृतिक आपदा के तहत प्रभावितों को सहायता राशि दी जाती है। राज्य के वर्ष 2018-19 से 2021-22 के अवधि के बीच 10060 करोड़ की राशि वितरित की गई। 13 जिलों को चयनित कर जब कैग ने अध्ययन किया, तो पता चला कि इन जिलों के कर्मचारियों और उनके रिश्तेदारों सहित अनाधिकृत व्यक्तियों को 23 करोड़ 81 लाख का अनाधिकृत वितरण किया गया। इसके लिए कूटरचित दस्तावेज भी तैयार किए गए।
कैग रिपोर्ट ने यह भी खुलासा किया है कि इंदौर के ग्राम बांगड़दा में एक चैरिटेबल ट्रस्ट को शून्य रुपए प्रीमियम और एक रुपए वार्षिक पट्टा किराए पर शासकीय भूमि के आवंटन के परिणामस्वरुप 4 करोड़ 19 लाख के प्रीमियम और 4 लाख 18 हजार प्रति वर्ष के वार्षिक पट्टा किराए की हानि हुई है।