रंग पंचमी कब है? जानें इससे जुड़ी पौराणिक कथा, पूजा विधि, तिथि और शुभ मुहूर्त

रंग पंचमी एक जीवंत और आध्यात्मिक हिंदू त्योहार है जो होली के पांच दिन बाद मनाया जाता है. 2025 में पंचमी तिथि 18 मार्च को रात 10:09 बजे शुरू होगी और 20 मार्च को सुबह 12:37 बजे समाप्त होगी. लेकिन, उगते सूरज (उदय तिथि) के आधार पर त्योहार मनाने की हिंदू परंपरा के अनुसार रंग पंचमी 19 मार्च 2025 को मनाई जाएगी. यह त्योहार केवल रंगों से खेलने के बारे में नहीं है, बल्कि इसका गहरा धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी है. यह नकारात्मक ऊर्जाओं पर विजय और प्रकृति के पांच तत्वों का सम्मान करने का प्रतीक है. यह बृज, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे क्षेत्रों में व्यापक रूप से मनाया जाता है, जहां लोग रंग-बिरंगे उत्सव और पारंपरिक अनुष्ठानों में शामिल होते हैं.
2025 में रंग पंचमी कब है? सटीक तिथि और समय

रंग पंचमी बुधवार, 19 मार्च, 2025 को मनाई जाएगी. पंचमी तिथि 18 मार्च, 2025 को रात 10:09 बजे शुरू होगी और 20 मार्च, 2025 को सुबह 12:37 बजे समाप्त होगी.

कार्यक्रम की तिथि और समय

पंचमी तिथि 18 मार्च, 2025 को रात 10:09 बजे शुरू होगी

रंग पंचमी उत्सव 19 मार्च, 2025

पंचमी तिथि 20 मार्च, 2025 को सुबह 12:37 बजे समाप्त होगी

रंग पंचमी 2025 का महत्व

रंग पंचमी केवल रंगों से खेलने के बारे में नहीं है; इसका गहरा धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है. यह नकारात्मक ऊर्जाओं पर विजय का प्रतीक है और प्रकृति के पांच तत्वों अग्नि, पृथ्वी, जल, वायु और आकाश का सम्मान करता है. लोगों का मानना ​​है कि देवताओं को रंग चढ़ाने से आशीर्वाद और समृद्धि मिलती है.

रंग पंचमी पौराणिक कथा

रंग पंचमी की पौराणिक कथा भगवान शिव और कामदेव से गहराई से जुड़ी हुई है. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्रेम के देवता कामदेव ने अपने पुष्प बाणों का उपयोग करके भगवान शिव को गहन ध्यान से जगाने की कोशिश की थी. लेकिन, शिव ने इससे क्रोधित होकर अपनी तीसरी आंख खोली और कामदेव को भस्म कर दिया. बाद में, कामदेव की पत्नी रति ने अन्य देवताओं के साथ मिलकर उनके पुनर्जीवित होने की प्रार्थना की.

उनकी भक्ति से प्रभावित होकर, भगवान शिव ने कामदेव को पुनः जीवित किया, लेकिन केवल आध्यात्मिक रूप में. देवताओं ने रंगों के साथ खेलकर इस घटना का जश्न मनाया, जिसे रंग पंचमी की उत्पत्ति माना जाता है. होली के पांच दिन बाद मनाया जाने वाला यह त्योहार नकारात्मकता पर दैवीय ऊर्जा की जीत और सद्भाव को दर्शाता है.

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