MP New Transfer Policy: मोहन सरकार ने जारी की ट्रांसफर पॉलिसी, विशेष परिस्थिति में ही हो सकेंगे तबादले, जानें फायदे

मध्यप्रदेश सरकार ने सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के तबादलों के लिए एक नई ट्रांसफर पॉलिसी 2025 को लागू किया है। इस नीति का उद्देश्य ट्रांसफर की प्रक्रिया को पारदर्शी, निष्पक्ष और प्रशासनिक आवश्यकताओं के अनुरूप सुव्यवस्थित करना है। मुख्यमंत्री मोहन यादव की सरकार द्वारा यह नीति तैयार की गई है, जिसमें स्वैच्छिक और प्रशासनिक आधार पर ट्रांसफर की व्यवस्था की गई है।

नई ट्रांसफर पॉलिसी के प्रमुख बिंदु

स्वैच्छिक और प्रशासनिक ट्रांसफर
इस नीति के तहत, सरकारी अधिकारी और कर्मचारी प्रशासनिक और स्वैच्छिक आधार पर एक जिले से दूसरे जिले में ट्रांसफर के लिए पात्र होंगे। ट्रांसफर प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाने के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल भी तैयार किया जाएगा, जिससे कर्मचारियों को अपनी ट्रांसफर प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की असुविधा न हो।

प्रतिबंधित अवधि में ट्रांसफर के अपवाद
कुछ विशेष परिस्थितियों में ही ट्रांसफर प्रतिबंधित अवधि (Ban Period) में किया जाएगा, जैसे कि:

  1. गंभीर बीमारी (जैसे कैंसर, हृदयाघात या लकवा)
  2. न्यायालय के आदेश का पालन
  3. आपराधिक मामलों की जांच (यदि कर्मचारी के खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज है)

गंभीर अनियमितताओं पर ट्रांसफर
यदि किसी सरकारी कर्मचारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई चल रही हो या मप्र सिविल सेवा नियमों का उल्लंघन किया गया हो, तो उसे तुरंत ट्रांसफर किया जा सकता है। इसके अलावा, विभागीय जांच, भ्रष्टाचार या गंभीर प्रशासनिक लापरवाही की स्थिति में भी ट्रांसफर किया जाएगा।

प्रशासनिक कारणों से ट्रांसफर की सीमा
प्रशासनिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए ट्रांसफर किए जाएंगे, लेकिन यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी एक स्थान से अत्यधिक ट्रांसफर होने से उस स्थान पर रिक्तियों का प्रतिशत 50% से अधिक न हो।

पदोन्नति, निलंबन और अन्य स्थितियों में ट्रांसफर
निलंबन, त्यागपत्र, सेवानिवृत्ति, पदोन्नति, या अन्य विशेष परिस्थितियों में ट्रांसफर किया जा सकेगा। हालांकि, जिन रिक्तियों का निर्माण पहले से ही ट्रांसफर के कारण हुआ है, उन्हें ट्रांसफर सूची में नहीं जोड़ा जाएगा।

मुख्यमंत्री कार्यालय से उच्च प्राथमिकता के मामलों में ट्रांसफर
कभी-कभी, कुछ विशेष मामलों में मुख्यमंत्री कार्यालय से उच्च प्राथमिकता वाले ट्रांसफर आदेश जारी किए जा सकते हैं, जिनमें विभागीय सचिव भी अपने मत को मुख्यमंत्री से पुनः अनुमोदन के लिए भेज सकते हैं।

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